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Buzurg ko palang samet nikala, makan par kurki ka notice

बुजुर्ग को पलंग समेत निकाला, मकान पर कुर्की का नोटिस

फाइनेंशियल कंपनी की किस्त नहीं चुकाने पर कार्रवाई; तबेले में रह रहा परिवार

मंदसौर – मध्यप्रदेश के मंदसौर में लोन की किस्त नहीं चुका पाने पर पुजारी परिवार को बेघर होना पड़ा। फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी पुलिस के साथ पहुंचे। घर में रखा सामान सड़क पर फेंक दिया। पुजारी के 100 साल के बीमार पिता को कर्मचारियों ने पलंग समेत उठाकर सड़क पर रख दिया। घर में ताला लगाया, नोटिस चस्पा कर चलते बने। बेघर मजबूर परिवार अब मवेशी बांधने वाले तबेले में रहने को मजबूर है।
जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर भील्याखेड़ी गांव। गांव के बीचों-बीच राम जानकी मंदिर के पास पुजारी गोविंद दास बैरागी का छोटा सा मकान है। दरवाजे पर ताला जड़ा है। बैंक की सील भी लगी है। एक पोस्टर भी चस्पा है, जिस पर कुर्की के बारे में जानकारी अंकित है। पड़ोसियों से पूछने पर पता चला कि बैंक द्वारा घर की कुर्की के बाद से पुजारी बड़े भाई के खेत में मवेशियों के लिए बनाए तबेले में रह रहे हैं। उनके साथ 100 वर्षीय बुजुर्ग पिता, पत्नी और दो बेटियां भी हैं। एक बेटी बचपन से दृष्टिहीन है।
बुजुर्ग पिता की रीढ़ की हड्डी में दिक्कत होने से वे पलंग से उठ नहीं सकते। पत्नी भी बीमार रहती है। वहीं, खुद पुजारी गोविंद दास की तबीयत भी ठीक नहीं रहती। वे शरीर में झनझनाहट की समस्या से परेशान हैं। पीड़ित परिवार की मदद के लिए सामाजिक संगठन सामने आया है। संगठन के सदस्य पुजारी परिवार को लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे थे। उन्होंने आर्थिक सहायता दिलाई जाने की मांग की।
3 फरवरी को तहसीलदार के आदेश के साथ मेंटोर होम फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी भील्याखेड़ी गांव पहुंचे थे। नाहरगढ़ थाने के दो पुलिसकर्मी भी साथ थे। बैंककर्मी गांव के चौकीदार को लेकर पुजारी गोविंद दास के घर पहुंचे। परिवार को आदेश के बारे में बताया।
परिवारवालों ने बात करने की कोशिश की, तो पुलिसकर्मी आगे आ गए। उन्होंने धमकाते हुए कार्रवाई में बाधा नहीं डालने की हिदायत दी। बैंक के कर्मचारी भीतर घुसे और एक-एक कर घर का सामान निकालकर बाहर रखने लगे। पुजारी के 100 साल के बुजुर्ग पिता को बाहर लाना था। इस पर कर्मचारी बुजुर्ग को पलंग समेत उठाकर बाहर लाए। सामान के पास सड़क पर रख दिया।
पुजारी और उनकी पत्नी ऐसा नहीं करने की मिन्नतें करत रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। परिवार को सड़क पर छोड़कर बैंककर्मियों ने घर में ताला लगाकर उसे सील कर दिया। कुर्की का बैनर टांग कर चले गए। पुजारी परिवार गुहार लगाने लगा कि हमें बेघर मत करिए। बैंक का लोन धीरे-धीरे चुका देंगे। परिवार का कहना है कि हमें बेघर करने के लिए कर्मचारियों के साथ पुलिसकर्मी आए। नियम-कानून बताया, लेकिन खुद ने क्या नियमों का पालन किया? वे हमें तो धमकाने लगे, लेकिन वे खुद महिला पुलिसकर्मी को साथ लेकर नहीं आए थे?
पुजारी गोविंद दास ने 2015 में मेंटोर होम फाइनेंस कंपनी, जयपुर की मंदसौर ब्रांच से मकान गिरवी रख तीन लाख रुपए का लोन लिया था। कंपनी ने लोन देने के दौरान 20 ‎हजार रुपए बीमा और 50 हजार ‎रुपए अन्य खर्च के काट लिए। लोन मिलने की खुशी में‎ पुजारी ने सांवलियाजी मंदिर में 10‎ हजार रुपए दान कर दिए। उन्होंने करीब 70 हजार रुपए किस्त के रूप में लगातार जमा किए।
गोविंद दास के घर में 100 वर्षीय पिता हैं, जो चल-फिर नहीं सकते। पत्नी भी बीमार रहती है, जिनका इलाज चल रहा है। चार बेटियों में दो की शादी कर दी है। दो बेटियों की अभी शादी करनी है। एक बेटी दृष्टिहीन है। मंदिर की डेढ़ बीघा जमीन में खेती कर लेते हैं। मंदिर में पूजा और मजदूरी से जो कुछ मिलता है, गुजर-बसर करते हैं।
उन्होंने बताया- 2015 में बेटियों की शादी के लिए लोन लिया था। कोरोना के कारण लॉकडाउन ‎लग गया। इसके बाद पिता की ‎‎तबीयत खराब हो गई। तब से वे ‎पलंग पर ही हैं। पत्नी की भी‎ तबीयत खराब होने से उसका ‎‎ऑपरेशन करवाया। दो बेटियों का ‎‎विवाह किया। दो बेटियां मेरे पास‎ हैं, जिसमें से एक दृष्टिहीन है। आर्थिक स्थिति दयनीय ‎होने से मैं किस्तें नहीं भर पाया। कई बार बैंक के एजेंट घर आए, उन्हें किस्त के रुपए नकद दिए। जब उनसे रसीद मांगता, तो कहते- ऑफिस आ जाना, दे देंगे। जब ऑफिस जाता तो कहते वॉट्सएप पर भेज दी हैं। मेरे पास स्मार्ट फोन नहीं है। आज भी की-पेड मोबाइल चलाता हूं। वे मेरी मजबूरी का फायदा उठाते रहे। ‎

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