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निशा बांगरे के इस्तीफे पर निर्णय ले सरकार – हाईकोर्ट

डिप्टी कलेक्टर के वकील विवेक तन्खा बोले- शिवराज की ओर से गेम खेल रहे चीफ सेक्रेटरी

जबलपुर – मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (जबलपुर) ने राज्य सरकार को डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे और चार्जशीट पर एक हफ्ते में निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। इस्तीफा मंजूर नहीं होने पर निशा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दायर याचिका में उन्होंने कहा है कि नियमानुसार एक महीने में इस्तीफा मंजूर कर लिया जाना चाहिए, लेकिन शासन ने अब तक नहीं किया। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
गौरतलब है कि छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बांगरे ने सरकार से संतान पालन के लिए अवकाश लिया था। इस दौरान आमला में अपने नवनिर्मित घर के गृहप्रवेश कार्यक्रम और सर्वधर्म शांति सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनुमति नहीं दी, जिससे नाराज होकर उन्होंने 22 जून 23 को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था। याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया था कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को पारित मेमो के अंतर्गत सरकार को अधिकारी का इस्तीफे पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 30 दिनों के अंदर इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए थे।
निर्धारित अवधि गुजर जाने के बावजूद भी इस्तीफे पर सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लेने के खिलाफ डिप्टी कलेक्टर ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय जांच लंबित है और आरोप के संबंध में पीएससी की अनुमति भी आवश्यक है। याचिकाकर्ता की तरफ से विभागीय जांच में लगाए गए आरोप स्वीकार कर लिए गए हैं। इसके बावजूद भी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 10 दिनों में इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए थे।
सरकार की तरफ से उक्त आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। अपील में कहा गया था कि विभागीय जांच की सभी औपचारिता दस दिनों में पूर्ण नहीं हो सकती है। आरोप के संबंध में पीएससी की अनुमति, संबंधित व्यक्तिों के बयान, जांच सहित सभी कार्यवाही की आवश्यक है। युगलपीठ ने सरकार की अपील तथा डिप्टी कलेक्टर की याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं हैं। छुट्टी के दुरुपयोग का आरोप है और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया है। विभागीय जांच लंबित रहने के दौरान इस्तीफा स्वीकार किया जा सकता है। इस्तीफ पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए। आग्रह को अस्वीकार करते हुए युगलपीठ ने विभागीय जांच पूरी कर इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए हैं।
निशा की ओर से पैरवी कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा के जूनियर वकील ब्रायन डिसिल्वा ने की। तन्खा ने कहा, ‘सरकार जानबूझकर मामले में लेटलतीफी कर रही है। चुनाव आचार संहिता जारी है। सरकार न्यूट्रल हो चुकी है। अब चीफ सेक्रेटरी का शासन है। चीफ सेक्रेटरी को क्या इंट्रेस्ट है कि निशा का इस्तीफा मंजूर नहीं हो। साफ है कि चीफ सेक्रेटरी शिवराज और बीजेपी की ओर से गेम खेल रहे हैं।’
तन्खा ने कहा, ‘अगर दो दिन के अंदर इस्तीफे पर फैसला नहीं लिया गया तो सोमवार को निर्वाचन आयोग में शिकायत की जाएगी कि चीफ सेक्रेटरी पॉलिटिकल हो गए हैं। मैं उनसे यही कहना चाहता हूं कि मिस्टर चीफ सेक्रेटरी यू आर इन ट्रबल।’
गुरुवार को केस की सुनवाई चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और विशाल मिश्रा की डिविजन बेंच में हुई। अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी। हाईकोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को भी तलब किया था।

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