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मोक्षदायिनी शिप्रा नदी की शुद्धि पर दो महीने से सिर्फ चर्चा, काम नहीं

इंदौर के सीवेज युक्त नालों का गंदा पानी उज्जैन आकर कान्ह नदी के रूप में शिप्रा नदी में मिलता है

उज्जैन – प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद भी मोक्षदायिनी शिप्रा नदी की शुद्धि का मुद्दा सिर्फ चर्चाओं में सिमटकर रह गया है। शुद्धीकरण के लिए अनेक योजनाएं हैं। कुछ तो स्वीकृत भी हैं, मगर इन पर कार्य शुरू नहीं हो रहा। मालूम हो कि इंदौर के सीवेज युक्त नालों का गंदा पानी उज्जैन आकर कान्ह नदी के रूप में शिप्रा नदी में मिलता है। इससे शिप्रा का स्वच्छ जल भी प्रदूषित होता है। ये मिलन रोकने को न पूर्ववर्ती सरकारों ने कदम उठाया ना नई सरकार उठा रही। हां, 2016 में शिप्रा के नहान क्षेत्र (त्रिवेणी से कालियादेह महल) में ये प्रदूषित पानी मिलने से रोकने को 99 करोड़ रुपये खर्च कर पाइपलाइन आधारित कान्ह डायवर्शन योजना जरूर क्रियान्वित कराई थी, मगर वो सफल नहीं हो पाई।

नेताओं ने कई बार कहा ऐसा

ये बात प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कई बार कहीं। तब भी, जब वे केवल विधायक थे। यही बात सांसद अनिल फिरोजिया, महापौर मुकेश टटवाल और पूर्व मंत्री पूर्व मंत्री पारस जैन ने भी कई बार कही। वक्त बीतता चला गया। सरकारें बदली और दो महीने पहले डा. मोहन यादव के नेतृत्व में नई सरकार का गठन भी हो गया। 11 दिसंबर 2023 को उज्जैन दक्षिण से विधायक डा. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनकी शपथ लेते ही उज्जैन के राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय हुए।

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