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कोर्ट में NHAI की हार, दूसरी बार संपत्ति कुर्क

खंडवा – खंडवा जिला एवं सत्र न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश सुधीर कुमार चौधरी ने जमीन मुआवजा मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की दलीलों को खारिज कर किसान के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस मामले में एनएचएआई की खंडवा ऑफिस की चल संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया गया। इससे पहले खंडवा की कलेक्टर कोर्ट ने भी किसान के पक्ष में फैसला दिया था। दूसरी बार कुर्की के आदेश हुए हैं। गुरुवार को कुर्की करने अधिवक्ता प्रणेद्र रांका न्यायालयीन स्टॉफ के साथ एनएचएआई के दफ्तर में पहुंचे थे।
कोर्ट ने फैसला देते हुए न्यायालयीन अफसरों से आदेश जारी कर कहा कि जब तक एनएचएआई किसान रामेश्वर पटेल निवासी बलरामपुर को प्रकरण में पारित अवॉर्ड की राशि नहीं लौटाता, तब तक एनएचएआई के खंडवा स्थित कार्यालय की चल संपत्ति कुर्क की जाए। इसी कुर्की की कार्रवाई के लिए न्यायालयीन स्टॉफ एनएचएआई के दफ्तर में जा पहुंचे।
दरअसल, मामला खंडवा जिले के पंधाना विधानसभा क्षेत्र के बलरामपुर गांव का है। यहां किसान रामेश्वर पटेल पिता घीसाजी पटेल के बगीचे में लगे अमरूद के पेड़ और अन्य परिसम्पतियां जो गाइडलाइन के तहत उचित माने गए हैं, उस हिसाब से आज तक मुआवजा नहीं मिला था। आखिरकार किसान ने न्यायालय की शरण ली। यहां न्यायालय ने किसान के पक्ष में संपूर्ण मुआवजा देने का आदेश पारित किया। बावजूद कोर्ट के आदेश को ना मानते हुए एनएचएआई ने किसान को भुगतान नहीं किया।
इंदौर-ऐदलाबाद फोरलेन का निर्माण चल रहा है। इसी फोरलेन के जमीन अधिग्रहण में फलदार वृक्ष व अन्य संसाधनों का मुआवजा किसान को मिलना था। मुआवजा की राशि एक करोड़ 57 लाख थी। किसान ने तीन साल पहले मुआवजे की गुहार लगाई थी। वह लगातार संघर्ष करता रहा और उसने अदालत के फैसले का इंतजार किया। अदालत ने एनएचएआई को मुआवजा राशि देने का आदेश दिया था। जब मुआवजा राशि नहीं दी गई तो कुर्की की कार्रवाई की गई।
वकील प्राणेंद्र रांका ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सड़क निर्माण के लिए जो जमीन और फलदार वृक्षों का अधिग्रहण किया गया है उसकी आधी राशि कृषक को नही दी है। कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग खण्डवा आफिस की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया उसी का पालन करके संपत्ति कुर्क की जा रही है। अभी तक 4 से 5 लाख तक संपत्ति कुर्क कर जब्त कर राष्ट्रीय राजमार्ग कर्मचारियों के सुपुर्द की कार्यवाही की है।
इधर, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आशुतोष सोनी ने बताया कि यह केस अभी माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में विचाराधीन है। जैसा भी उसमें आदेश होगा हमारे मुख्यालय से चर्चा करने के बाद उनके निर्दशों का पालन किया जाएगा।

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