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राम मंदिर के उद्घाटन में नहीं जाने के शंकराचार्य के निर्णय से पं. धीरेंद्र शास्त्री भी शंकराचार्य से सहमत

कहा – न्यायसंगत बात कर रहे हैं शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी

भोपाल – बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अयोध्या में प्रभु श्री राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर सरकार को आइना दिखाया है। उन्होंने पुरी के शंकराचार्य को अपना प्रधानमंत्री बताते हुए कहा है कि राम मंदिर के उद्घाटन में न जाने का शंकराचार्य का निर्णय एकदम सही है। एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने यह विचार व्यक्त किए। पंडित धीरेंद्र शास्त्री से जब पूछा गया कि स्वामी निश्चलानंद जी ने कहा कि सब काम मोदी जी ही करेंगे तो क्या शंकराचार्य वहां जाकर ताली बजाएंगे। इस सवाल के जवाब में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि स्वामी निश्चलानंद सरस्वती हमारे धर्म के प्रधानमंत्री हैं, जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर धर्म चक्रवर्ती पद्म विभूषण गुरुदेव भगवान के बाद न्याय पूर्ण तरीके से कोई हमसे पूछे तो पूरी वाले शंकराचार्य जी का नाम आता है। पुरी वाले शंकराचार्य न्याय पूर्ण शास्त्र सम्मत बात कहते हैं। श्री धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि ऐसी स्थिति में स्वामी निश्चलानंद जी के विचारों का वह विरोध नहीं कर सकते।
ज्ञात रहे कि देश के चार में से दो शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने राम मंदिर उद्घाटन में शामिल होने से इनकार किया है।स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि यह कार्यक्रम सनातन धर्म के नियमों को ध्यान में रखकर नहीं किया जा रहा और वह शास्त्रों के विरुद्ध नहीं जा सकते इसलिए वह सामरोह में शामिल नहीं होंगे। उधर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हरिद्वार में साफ किया कि चारों शंकराचार्य राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होंगे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद उत्तराखंड के ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य हैं। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में होने जा रहा राम मंदिर उद्घाटन का कार्यक्रम धर्मग्रंथों और नियमों के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुए बिना भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा करना सनातन धर्म के नियमों का पहला उल्लंघन है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इसके लिए कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।

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