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किसानों की साथ षडयंत्र रच रही है भाजपा सरकार, किसानों को डिफाल्टर कहकर अपमानित न करें शिवराज

भोपाल – कालापीपल से कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों का जो ब्याज शिवराज सरकार माफ़ कर रही है, वो किसानों के ऊपर क्यों चढ़ा ? जबकि कांग्रेस ने कर्जमाफी में पहले चरण मे ही कालातीत किसानों का कर्जमाफ कर दिया था, जिसे जनमत को लूट कर बनाई गई सरकार के कृषिमंत्री कमल पटेल भी स्वीकार कर चुके है कि कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के 27 लाख किसानों का कर्जा माफ़ किया है। फिर भी यह सरकार ब्याज के जाल में किसानों को उलझा रही है, ऐसे कई किसान मेरे साथ आज प्रेस-वार्ता के दौरान उपस्थित हैं, जिनका कर्जमाफ हुआ है।
कुणाल चौधरी ने कहा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार शायद किसानों को नासमझ समझती है, इसलिए खुद किसानों को डिफाल्टर बना रही है और खुद ही ब्याज माफ़ करने का ढोंग रच रही है। जबकि किसान कभी डिफाल्टर नहीं होता है, वो सिर्फ कालातित श्रेणी में आता है। भाजपा सरकार एक तरफ तो उद्योगपतियों को अरबों करोड़ों का कर्जा माफ़ कर उन्हें सम्मान दे रही है, वहीं दूसरी और किसानों के साथ डिफाल्टर बनाने का खेल रच कर उन्हें बदनाम किया जा रहा है।

सरकार ही बनाती है किसानों को कालातीत किसान

शाजापुर जिले में लगभग 1400 किसानों की उपज सरकार को बेचने के बाद आज एक महीने के बाद भी उनका भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। किसानों ने जब अपनी उपज बेची, किसी किसान के कुल 5 बिल थे 2 बिल का भुगतान खाते में हुआ एवं बाकी 3 बिल का भुगतान नहीं हुआ है, एक बार किसान के बिल का भुगतान सफल हो गया तो फिर बाद में असफल क्यों हो रहा है? यह सरकार किसानों को बैंकों के चक्कर लगाने पर मजबूर कर रही है। अगर यह सरकार किसानों को उनकी फसल का बिल नहीं देगी तो वो कैसे बैंकों का पैसा भरेंगे, किसान जो भी कर्ज लेता है वो अपनी फसलों के पैसे से ही उसे चुकाता है। ऐसे में आप किसानों की फसल भी देरी से खरीदेंगे और बैंक भरने की तारीख तक उन्हें फसल का पैसा भी नही देंगे और अब ब्याज लगा कर उन्हें कालातीत किसान की श्रेणी में शामिल कर उन्हें डिफाल्टर कह कर किसानों की छवि धूमिल करेंगे तो ये भी बात हुई कि पुचकार कर मारा जा रहा है, जो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।

भाजपा सरकार की गलत नीतियों की वजह से किसानों के ऊपर ब्याज चढ़ा

जब सरकार के पास खरीदी हेतु उपयुक्त भंडारण व्यवस्था नहीं थी और सरकार खुले में खरीदी करते थे तो ग्रामीण भंडारण योजना के अंतर्गत किसानों को प्रोत्साहित कर किसानों के वेयर हाउस बनवाएं किसानों ने बैंक से कर्जा लेकर अपनी जमीन गिरवी रख कर वेयर हाउस का निर्माण ग्रामीण स्तर पर किया, पूर्व में चाढ़े चार माह की बिजनेस गारंटी सरकार द्वारा दी जाती थी, परंतु वह भी अब खत्म कर दी गई है एवं खरीदी के 15 दिन बाद ही वेयरहाउस से माल उठाना शुरू कर दिया।

श्री चौधरी ने कहा कि करोड़ों रूपयों की लागत से बने वेयरहाउस की किस्त किसान कहां से भरेगा, ऐसे में किसानों का डिफाल्टर होना तय है। सब्सिडी योजना के अंतर्गत वेयरहाउस का निर्माण करवाया गया था, वह सब्सिडी भी सरकार ने आज तक नहीं दी है।

गेहूं निर्यात में भले ही मप्र नम्बर 1 लेकिन किसानों को भाव कब मिलेगें

कुणाल चौधरी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भले ही प्रदेश से 21 लाख मैट्रिक टन गेहूं निर्यात करने का दावा कर रहे है, लेकिन धरातल पर हालात कुछ और हैं, किसानों से सरकार गेहूं पहले तो देरी से खरीदती है और फिर अभी तक कई किसानों को गेहूं का दाम नहीं दे रही है। ऐसे में इस तमगे का किसानों को क्या फायदा मिल रहा है, दूसरी और किसानों के लिए सदन में जब विधायक जीतू पटवारी जी द्वारा मांग की जाती है कि किसानों को गेहूं का भाव 3000 रू. प्रति क्विंटल दिया जाएँ तो उन्हें सदन से निलंबित कर दिया जाता है। जबकि यह वो ही सरकार है जो कि वर्ष 2023 तक किसानों की आय दुगनी करने का दावा करते हैं। लेकिन वास्वतिकता में आज लागत दुगनी हो गई है आय दुगनी होना तो दूर, कुल मिलाकर इस सरकार में इनसे जुड़े अमीर, अमीर बनते जा रहे है और गरीब, गरीब बनते जा रहे है, जो कि किसानों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

कमलनाथ सरकार ने दिया था मुआवजा और बीमा, आज वो भी गायब

कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया कि जब 2018 में किसानों को भारी अतिवृष्टि का सामना करना पड़ा था, तब कमलनाथ ने बिना सर्वे मुआवजा और समय पर फसल बीमा दिया था, लेकिन आज शिवराज सरकार में विगत माह हुई अतिवृष्टि का मुआवजा तो दूर मुख्यमंत्री ने सर्वे की घोषणा की, लेकिन अभी तक कई किसानों के खेतों में सर्वे की टीम तक नहीं पहुंची है।

प्याज और लहसुन के दाम

असमय अति वृष्टि से पहले तो किसानों की गेहूं की फसल बर्बाद हो गई जिसमें सरकार ने सिर्फ कोरी घोषणाओं के सिवाय ना सर्वे किया ना मुआवजा दिया और अभी भी किसान के जख्मों पर मरहम भी नहीं लगा था की फिर असमय अतिवृष्टि ने प्याज के किसानों को खून के आसू रोने पर मजबूर कर दिया है। आज किसानों का प्याज जिसे किसान खेतों से घर भी नहीं ला पाया, बारिश से खराब होने के कारण खेतों में सड़ रहा है। जिससे किसानों को फायदा तो दूर लागत भी कर्ज तले दबा रही है। क्योंकि एक एकड़ के प्याज की लागत लगभग 75000 रुपए के करीब आ रहा है और बेचना पड़ रहा है केवल एक रूपये किलो। किन्तु आज भी सरकार कुंभकर्णीय नींद में सोई हुई है। यही हाल लहसुन के किसानों के भी है, वो भी उचित भाव नहीं मिलने से परेशान है।

जनधन खातों के नाम पर आमजन के साथ छलावा

सरकार द्वारा जो जनधन खाते खुलवाये गए है उनसे आज आमजन परेशान है, 15-15 लाख की आस में खुले इन खातों में महीने में 10 हजार से ज्यादा का लेनदेन नहीं हो पा रहा है, जिससे की जनता अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।

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