कैलाश विजयवर्गीय के सामने पूर्व विधायक ने कहा कि भाजपा आदिवासियों के सबसे ज्यादा टिकट काटती है Uncategorized by mpeditor - May 20, 2023May 20, 20230 आदिवासी सीटों पर वापसी की कोशिश कर रही भाजपा विधायकों की नाराजगी सामने आई इंदौर – चुनावी तैयारियों में भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस उन आदिवासी सीटों पर है, जो बीते चुनाव में कांग्रेस ने छीन ली थी। इसी कड़ी में इंदौर संभाग की 27 सीटों में से 19 आदिवासी सीटों के नेताओं को इंदौर में अपनी बात रखने के लिए बुलाया गया। हातोद रोड स्थित एक गार्डन में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के सामने एक पूर्व विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा आदिवासियों के सबसे ज्यादा टिकट काटती है।आदिवासी अंचल के एक पूर्व विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा आदिवासियों के सबसे ज्यादा टिकट काटती है। ऐसा कौन सा सर्वे है, जिसके आधार पर सिर्फ आदिवासी विधायकों के टिकट काटे जाते हैं और सामान्य-ओबीसी के नहीं।विधायकों ने कहा – 2018 के चुनाव में 13 मंत्री हार गए, उनका सर्वे में नाम नहीं था क्या? हम लोगों के टिकट काटना बंद करो। गलती का सुधार करवाओ। टिकट मिलने न मिलने का दबाव जिंदगी में जी रहे हैं। अजजा मोर्चा के एक प्रदेश पदाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास कई बार ट्रांसफर का आवेदन लेकर गया, लेकिन एक भी अफसर का ट्रांसफर नहीं हुआ। हमको ट्रांसफर खोर समझ लिया है। जैसे पैसे लेकर ट्रांसफर करवा रहे हों।राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी ने कहा- हमारी लोकसभा-राज्यसभा की राशि स्थानीय अफसरों ने रोक रखी है। 3-4 करोड़ की राशि पेंडिंग है। कैसे क्षेत्र में विकास करवाएं।बैठक में सभी आदिवासी नेताओं की समस्याएं सुनने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा राजनीति डेयरिंग से की जाती है। अफसर सुन नहीं रहे तो सबक सिखाओ। ट्रांसफर समाधान नहीं है। आलीराजपुर के एक भाजपा नेता ने कहा सरकारी अफसर की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में हम जनता की सेवा कैसे करेंगे। एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि अफसर जयस के दबाव में काम करते हैं। और जयस को फंडिंग तक कर रहे हैं। जयस ग्राउंड लेवल पर जाकर काम कर रही है। हमें भी मैदान में उतरना होगा। एक नेता ने कहा, सर्वे के नाम पर विधायकों को डराया जा रहा है। बगावत की चेतावनी भी दे गए आदिवासी भाजपा नेता बैठक के बाद पूर्व विधायक वेलसिंह भूरिया ने कहा एससी-एसटी की सीनियरिटी कम करने के लिए आदिवासियों का टिकट काटा जाता है। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का सर्वे में आ जाए कि वो 50 हजार वोटों से हार रहे हैं तो भी टिकट नहीं काटा जाता। सर्वे में आदिवासी उम्मीदवार जीत भी रहा हो तो उसका टिकट काट दिया जाता है। वहीं एक भाजपा नेता ने कहा कि हमारी नहीं सुनी गई तो बगावत हो सकती है।