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गांव की टूटी सड़क से लेकर पटवारी परीक्षा तक, मध्य प्रदेश के चुनाव में यह भी हैं बड़े मुद्दे

अमर उजाला डॉट कॉम से साभार

जबलपुर – जबलपुर के महंगवां गांव में रहने वाली इंदोबाई को प्रदेश में कितना विकास हुआ, उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। वह कहती हैं कि उनके गांव को जाने वाली सड़क कई साल से कच्ची की कच्ची ही है। वह इशारा करके बताती है कि हाईवे के एकदम किनारे बसे उनके गांव में जाने वाली यह सड़क बरसात में लबालब पानी से भरी होती है। इसी हाईवे से न जाने कितने बड़े अधिकारी नेता और मंत्री गुजर जाते हैं, लेकिन कोई यह पूछने नहीं आता कि गांव में जाने के लिए आखिर लोग कितना परेशान होते हैं।
इसी तरह गांव के जगदंबा भी अपने बेटे की बेरोजगारी को लेकर बड़े परेशान हैं। कहते हैं कि बेटे ने पटवारी की परीक्षा दी थी, लेकिन उसका अंजाम क्या हुआ यह सबको पता है। ऐसी न जाने कितनी छोटी-बड़ी परेशानियों से जबलपुर के महंगवां गांव के लोग रूबरू होते हैं। अमर उजाला डॉट कॉम ने मध्य प्रदेश में ऐसे ही कुछ अलग-अलग गांव के लोगों से बात कर विधानसभा के चुनाव के मुद्दे समझे।

आइए पढ़ते हैं ग्राउंड रिपोर्ट…

जबलपुर शहर से तकरीबन 32 किलोमीटर दूर नागपुर हाईवे पर एक गांव है महंगवां। इस गांव में रहने वाले लोगों का दर्द यह है कि जब चुनाव आता है तो लोग वोट मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन सुविधाओं की बारी आती है तो किसी के दर्शन नहीं होते। इस गांव में अपनी पूरी जिंदगी गुजार देने वाली इंदोबाई कहती है कि उनको प्रदेश के विकास से क्या मतलब जब उनके गांव की सड़क ही नहीं बनी।

रोज खेतों में बकरियों को चराने जाने वाली इंदोबाई कहती है कि उनकी उम्र 74 साल हो चुकी है, लेकिन उन्होंने अपने गांव में पक्की सड़क का मुंह आज तक नहीं देखा। यह पूछे जाने पर की गांव के भीतर तो कुछ पक्की सड़के दिख रही है, तो वह नाराज होकर कहने लगी की पूरा गांव घूम कर देख लोगे तो असलियत का अंदाजा हो जाएगा। वह कहती है कि यहां पर बरसात में कभी आकर देखना तो पता चल जाएगा कि उनका दर्द कितना गहरा है। वह कहती है कि अगर हमारे गांव की थोड़ी सी सड़क बन जाती तो शायद बरसात के दिनों में घरों में कैद रहने की जलालत से बच जाती।

इसी गांव में रहने वाले जागेश्वर कुशवाहा सड़क के किनारे चाट बताशे की दुकान लगाते हैं। वह कहते हैं कि दिन में दुकान लगाकर कुछ पैसा तो कमा ही लेते

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