ग्वालियर में 100 स्टूडेंट फूड पॉइजनिंग से बीमार, सात की हालत गंभीर, फिजिकल एजुकेशन इंस्टीट्यूट में पनीर-चपाती खाने के बाद बिगड़ी हालत Uncategorized by mpeditor - October 4, 2023October 4, 20230 सोमवार रात हॉस्टल के मैस में बना ग्रेवी वाला पनीर और चपाती खाई थी ग्वालियर – ग्वालियर के लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन में मंगलवार शाम 100 स्टूडेंट्स फूड पॉइजनिंग की वजह से बीमार पड़ गए। हालत इतनी खराब हो गई कि छात्र-छात्राओं को जयारोग्य हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। शाम 7 बजे के आसपास शुरू हुआ भर्ती कराने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। इनमें 7 की हालत गंभीर है।प्रबंधन के अनुसार 100 बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। शारीरिक शिक्षा में देश में खास पहचान रखने वाले संस्थान LNIPE में मंगलवार की सुबह से ही बच्चों में बेचैनी और बुखार के लक्षण दिखाई देने लगे थे। संस्थान में बने हेल्थ सेंटर में उनका उपचार किया गया, लेकिन शाम तक हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की हालत और बिगड़ गई। उन्हें उल्टियां हो रही थीं।स्टूडेंट्स ने बताया कि सोमवार रात हॉस्टल के मैस में बना ग्रेवी वाला पनीर और चपाती खाई थी। इसके बाद पेट गड़बड़ हुआ और एक के बाद एक स्टूडेंट बीमार होते चले गए। पहले उन्हें हेल्थ सेंटर में रखा गया। हालत ज्यादा बिगड़ने पर JAH शिफ्ट किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि हो सकता है पनीर की क्वालिटी ठीक न हो। डेयरी प्रोडक्ट्स कई बार इस तरह की फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं।अस्पताल के मुख्य द्वार पर जैसे ही बच्चों से भरी गाड़ी रुकी। नजारा बहुत ही भयावह था। लड़कियां दर्द से कराह रही थीं, तो कुछ रोते हुए अपने परिजन को याद कर रहे थे।अस्पताल के मुख्य द्वार पर जैसे ही बच्चों से भरी गाड़ी रुकी। नजारा बहुत ही भयावह था। लड़कियां दर्द से कराह रही थीं, तो कुछ रोते हुए अपने परिजन को याद कर रहे थे।खबर में पोल पर अपनी राय दे सकते हैं।LNIPU के रजिस्ट्रार अमित यादव का कहना है कि सुबह से बच्चों की हालत नाजुक थी। मलेरिया की जांच भी कराई है। उन्हें प्राथमिक उपचार दिया जा रहा था। शाम को हालत बिगड़ने पर अस्पताल में 100 बच्चों को भर्ती कराया है। घटनाक्रम की जांच होगी। फूड के सैंपल लिए जाएंगे। जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जरूरत पड़ी तो उनके खिलाफ FIR तक कराएंगे।LNIPE हेल्थ सेंटर के डॉ. जयराज वाधवानी के मुताबिक, सुबह बच्चों में बुखार और उल्टी-दस्त के लक्षण देखने में आए थे। इसके बाद उन्हें प्राथमिक उपचार के रूप में पैरासिटामॉल और ओआरएस का घोल लगातार दिया जा रहा है। हालांकि, उस समय हालात इतने गंभीर नहीं थे। एकाएक ही शाम को बच्चों की हालत बिगड़ती गई। इसके बाद बिना देरी किए प्रबंधन और फैकल्टी की मदद से सभी को अस्पताल पहुंचाया गया।