You are here
Home > Uncategorized > मध्यप्रदेश सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह के गृह जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात दयनीय

मध्यप्रदेश सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह के गृह जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात दयनीय

ध्यप्रदेश सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह के गृह जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात दयनीय

गुना – इंटेंसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू में भी क्या मरीजों को घर से पंखा-कूलर लेकर जाना होगा? ये हाल गुना जिला अस्पताल के आईसीयू का है, क्योंकि यहां ऐसा ही होता है। 40 डिग्री तापमान में यहां आईसीयू में भर्ती मरीजों की परेशानी दोगुनी बढ़ गई है।
दरअसल, यहां के आईसीयू का एयर कंडीशनर पिछले 6 महीने से बंद है। ऐसे में भर्ती मरीजों के लिए उनके परिजन घर से कूलर-पंखे लाकर लगा रहे हैं। किसी ने सलाइन के पाइप से तो किसी ने बेड से ही एग्जॉस्ट लगाकर गर्मी से बचने की जुगाड़ की है।

6 महीने से आईसीयू के AC बंद पड़े हैं

गुना मध्यप्रदेश सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह का गृह जिला है। जब यहां के अस्पताल के ऐसे हाल हैं, तो बाकी जिलों की कल्पना आप कर सकते हैं। आईसीयू में AC नहीं चलने से वहां लगी मशीनें भी सही रीडिंग नहीं बता पातीं। दरअसल, आईसीयू में लगे मेडिकल उपकरणों को भी सही तरह से चलने के लिए निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है। पिछले 6 महीने से आईसीयू के AC बंद पड़े हैं।
आईसीयू में प्रवेश करते ही हालात भयावह नजर आए। यहां गंभीर बीमारी के दो मरीज भर्ती थे। सिस्टर रूम में कोई भी नर्स मौजूद नहीं थी। एक मरीज गुलाबगंज इलाके के भर्ती थे। उनके बेड के सामने दो स्टैंड फैन लगे थे। एक बेड के बायीं तरफ और दूसरा मरीज के पैरों की तरफ। इसके अलावा, पैरों की तरफ ही एक कूलर भी रखा था।
मरीज के साथ आए अटेंडर नीचे फर्श पर एक गद्दा बिछाकर लेटे थे। उनसे कूलर और पंखों के बारे में पूछा तो बताया कि 15-16 दिन पहले उन्होंने पिता को ब्रेन स्ट्रोक की वजह से आईसीयू में भर्ती किया था। भोपाल से लाकर उन्हें यहां भर्ती करना पड़ा था। सब कुछ उन्हें खुद ही करना पड़ रहा है। पंखे-कूलर घर से लाए हैं। यहां एसी पूरी तरह से बंद है। आईसीयू में एसी लगे होने से वार्ड को पूरी तरह से पैक कर दिया गया है, लेकिन एसी नहीं चलने की स्थिति में कहीं से भी बाहर की हवा तक प्रवेश नहीं कर पाती। यहां जो मशीनें हैं, वह भी निश्चित तापमान नहीं होने से सही से काम नहीं कर रही हैं। इस कारण वह रीडिंग भी गलत बताती हैं।

जिला अस्पताल के नई बिल्डिंग में कोरोना के समय ही नया आईसीयू वार्ड बनकर तैयार हुआ था। इस वार्ड में 10 ऑक्सीजनयुक्त बेड हैं। हालांकि, कोरोना में इसकी जरूरत नहीं पड़ी। उसके बाद यह सामान्य मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है, तभी से इसमें गंभीर बीमारी वाले मरीज भर्ती किए जाते हैं। इसके लिए अलग से स्टाफ भी लगाया गया है।

अधिकारी बोले – देखते हैं, क्या कर सकते हैं

अस्पताल के अधिकारियों से कई बार बोला। शुक्रवार सुबह भी उनसे बोला तो जवाब दिया कि वो तो खराब ही है। ऊपर अर्जी डाली हुई है, वह देख रहे हैं। देखते हैं क्या होता है। यही बोल रहे हैं कि 6 महीने से खराब है। इसी वार्ड में एक दूसरे पलंग पर एक महिला भर्ती है। वह भी पिछले 4-5 दिन से भर्ती है। उसके पलंग के सामने भी कूलर की दो मोटर लगी हैं। उसके साथ आए अटेंडर ने एक मोटर सामने वाले बेड के सहारे बांध दी है। वहीं, दूसरी मोटर पलंग के सामने रखे बोतल लगाने वाले स्टैंड से बांध रखा है। इन्हीं दो मोटर के सहारे महिला को गर्मी से राहत दिलाने के प्रयास किया जा रहा है।
कोरोना के समय लाखों रुपए खर्च कर यह आईसीयू वार्ड तैयार किया गया था, लेकिन कुछ ही समय में इसकी स्थिति खराब हो गई। वार्ड में सेंट्रलाइज़्ड AC इंस्टॉल किया गया है, जोकि पिछले 6 महीने से वह बंद है, जबकि आईसीयू वार्ड में हमेशा AC चालू रहना चाहिए। अगर यह बंद रहेगा, तो जहां एक तरफ मरीजों को दिक्कत होगी, वहीं दूसरी तरफ यहां लगी मशीनें भी सही तरह से काम नहीं करेंगी। पूरी तरह से बंद होने के कारण वार्ड में उमस के कारण किसी से बैठा नहीं जा सकता।

जिला अस्पताल में लगातार सामने आ रही अव्यस्था

जिला अस्पताल में भले ही अव्यवस्थाओं के दुरुस्त होने का दावा किया जाता हो, लेकिन वास्तविकता बिल्कुल उलट है। अस्पताल में अव्यवस्थाओं की भरमार है। शुक्रवार सुबह ही एक मृतक का शव पीएम रूम तक ले जाने स्ट्रेचर पर रखा था, लेकिन वार्ड बॉय उपलब्ध नहीं हो सका। जब उनके परिजनों ने हंगामा किया, तब आनन-फानन में कहीं से एक वार्ड बॉय दौड़ता-भागता आया। तब जाकर बॉडी को पीएम रूम तक ले जाया गया। मंगलवार को भी जिला अस्पताल से शर्मनाक तस्वीर सामने आई थी। अस्पताल में निर्माण कार्य के चलते एंबुलेंस पीएम रूम तक नहीं पहुंच पाया था, इसलिए परिवार वालों को मृतक का शव लटकाकर पीएम रूम तक ले जाना पड़ा। पीएम के बाद इसी तरह लटकाकर बॉडी को वापस लाना पड़ा। अस्पताल में एक स्ट्रेचर तक उन्हें नसीब नहीं हो पाया था। अस्पताल प्रबंधन चाहता तो वहां तक जाने के दूसरे रास्ते को खुलवा सकता था। उसने वह भी नहीं किया। नतीजा यह हुआ कि परिजनों को खुद ही शव को हाथ में लटकाकर ले जाना पड़ा। इसका वीडियो भी सामने आया था।

आधा किलोमीटर बुजुर्ग ने धकेला स्ट्रेचर

कुछ दिन पहले भी अस्पताल से इसी तरह की तस्वीर सामने आई थी। एक वृद्ध व्यक्ति को अपनी पत्नी की सोनोग्राफी कराने ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली थी। वह अपनी पत्नी को खुद ही स्ट्रेचर पर डालकर अस्पताल से आधा किलोमीटर दूर निजी लैब पर ले गए थे। हालांकि, रात हो जाने से वहां भी सोनोग्राफी नहीं हो पाई थी। उनसे अगले दिन आने के लिए कहा गया था। इसके बाद वृद्ध स्ट्रेचर को धक्का देते हुए वापस हॉस्पिटल पहुंचे थे। स्ट्रेचर लेकर जाने के लिए कर्मचारी भी नहीं मिला।

एक हफ्ते से भीषण गर्मी, मरीज बेहाल

जिले में इन दिनों भीषण गर्मी का दौर बना हुआ है। एक हफ्ते से तापमान 40 डिग्री के आसपास बना हुआ है। उमस और तेज धूप से नागरिक परेशान हैं। सोमवार को अधिकतम तापमान 39 डिग्री रहा। मंगलवार को 41, बुधवार को 40.8, गुरुवार को 41.8 और शुक्रवार को भी अधिकतम तापमान 41.8 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान भी 25-25 डिग्री के आसपास ही बना हुआ है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती मरीज गर्मी से बेहाल हो रहे हैं।

Top