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मृत पटवारी की बेटी ने लगाए गंभीर आरोप, कहा- मेरे पिता की ईमानदारी से पुलिस को होती थी तकलीफ!

शहडोल – शहडोल में रेत खनन रोकने गए पटवारी की हत्या का मामला लगातार गर्मा रहा है। पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में हैं। अब मृतक पटवारी की बेटी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने यहां तक कहा है कि मेरे पिता की ईमानदारी से पुलिस को तकलीफ होती थी।

शहडोल जिले के ब्योहारी अनुविभाग में पदस्थ पटवारी प्रसन्न सिंह की नाबालिग़ पुत्री ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे पापा ने सोलह बरस तक भारतीय सेना मे रहते हुए देश की सेवा की। वे एक बहुत ही ईमानदार व्यक्ति थे। उनकी ईमानदारी से पुलिस वालों को बहुत तकलीफ होती थी। मेरे पापा, अवैध खनन की गाड़ियां जब्त करते थे जबकि पुलिस कमीशन लेकर उन्हें छोड़ देती थी।

बता दें कि रेत माफियाओं द्वारा पटवारी सिंह की

शनिवार-रविवार दरम्यानी रात ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई थी। पटवारी प्रसन्न सिंह अपने पीछे पत्नी, चार बच्चे और बूढ़े माता-पिता को छोड़ गए हैं। इस हादसे के बाद से ही परिजन सदमे में हैं और उनके पैृतक गांव रीवा जिले के बरौं में मातम पसरा हुआ है। इसी गांव में प्रसन्न सिंह का अंतिम संस्कार किया गया।

पुत्री दीया ने बताया कि उनके मृत पिता ही घर में अकेले कमाने वाले सदस्य थे। अब उनके जाने के वे अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं। दीया कहती हैं- अभी तो कुछ भी नहीं है। मुझे परिवार के लिए बहुत त्याग करना है। मुझे नीट की तैयारी करना है। छोटी बहन भारतीय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करना चाहती है। मेरे छोटे भाइयों की पढ़ाई भी बाकी है। मां अकेले ये सारी जिम्मेदारी कैसे उठा पाएंगी, यह कहते हुए उसका गला रुंध गया। आंखें आंसुओं से भर आई। दीया ने बताया कि रेत खनन रोकना उनका काम नहीं था फिर भी वे अपने उच्चाधिकारी के आदेश का पालन करते हुए पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। इसके बाद भी प्रशासन ने उन्हें किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी थी।

‘मौके पर भेजना भी साजिश’

पुत्री दीया ने बताया कि पापा घर में सारी बातें शेयर करते थे। रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई के वीडियो हमें दिखाया करते थे। वे यह भी कहते थे कि जिन गाड़ियों को पकड़कर थाने भिजवाते थे। उन्हें पुलिस गाड़ी मालिकों से पैसा लेकर छोड़ देती थी। मेरे पापा की रात भर की मेहनत का उन्हें इस तरह से फल मिलता था। दीया कहती हैं- मुझे तो लगता है उन्हें वहां पर भेजना एक बड़ी साजिश थी। मेरे पापा को पता था कि वहां खतरा है फिर भी वह वहां जाते थे। अपना फर्ज निभाते थे। वह कभी पैसे लेकर काम नहीं करते थे। यदि पैसे लेकर काम करते तो शायद आज हमारे बीच होते। लेकिन जिले मे फल फूल रहे रेत के अवैध काम से जुड़े लोगो ने उनकी जान लें ली, अब हमारे सिर से पिता का सया उठ चुका है।
सबसे आश्चर्य कि बात तो यह है कि जिले मे इतनी बड़ी घटना हो गई, लेकिन अब तक कलेक्टर-एसपी ने मृत पटवारी के परिवार से मिलने कि जहमत तक नहीं उठाई। शायद यह उपेक्षा का दंश मृतक के परिवार का दर्द बढ़ा रहा है।

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