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वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं लेफ्निंट कर्नल श्री अनिल दुहून की पत्रकार वार्ता

‘अग्निवीर को उसकी नौकरी के दौरान सैनिक की भांति नहीं मिलेगी सुविधाएं’

भोपाल – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 31 जनवरी 2024 को बिहार में श्री राहुल गांधी द्वारा शुरू किए गए एक राष्ट्रव्यापी अभियान – ‘जय जवानः अन्याय के विरुद्ध न्याय का युद्ध’ के माध्यम से ’युवा न्याय’ सुनिश्चित करेगी।
यह अभियान 1.5 लाख युवा पुरुषों और महिलाओं की दुर्दशा पर प्रकाश डालता है, जिन्हें कठोर चयन प्रक्रिया को पारित करने के बाद 2019 और 2022 के बीच एक नियमित भर्ती अभियान में हमारी 3 गौरवशाली सैन्य बलों – भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना में स्वीकार किया गया था, लेकिन उन्हें भर्ती से वंचित कर दिया गया, क्योंकि मोदी सरकार ने अचानक सशस्त्र बलों पर अग्निपथ योजना थोप दी।
‘जय जवान’ अभियान की दो महत्वपूर्ण मांगें हैं -ः

  1. अग्निपथ योजना लागू होने पर 1.5 युवा पुरुषों और महिलाओं से क्रूरतापूर्वक
    छीनी गई नौकरियां वापस करें।
  2. सैन्य बलों के लिए पिछली भर्ती प्रणाली को बहाल करें।
    राष्ट्रव्यापी ’जय जवान’ अभियान 3 चरणों में आयोजित किया जा रहा है और 31 जनवरी से 20 मार्च तक चलेगा।
    चरण- 1ः संपर्क (जन संपर्क)
    लक्ष्यः 30 लाख परिवारों तक पहुंचना
    समय अवधिः 1 फरवरी से 28 फरवरी
    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा रक्षा परिवारों (वर्तमान/पूर्व) को ‘‘न्याय पत्र“ (एक फॉर्म और पत्रक के साथ) वितरित किया जाएगा और सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं से आंदोलन में शामिल होने और समर्थन करने का अनुरोध किया जाएगा। ‘‘न्याय पत्र“ परिवारों द्वारा अपने हस्ताक्षर के साथ भरा जाएगा और यह जानकारी डिजिटल रूप में दर्ज की जाएगी, साथ ही न्याय पत्र का स्टिकर घर के दरवाजे पर लगाया जाएगा।

चरण -2 : सत्याग्रह
लक्ष्यः अधिक से अधिक युवाओं और उनके परिवारों तक पहुंचना, जानकारी इकट्ठा करना और उन्हें चल रहे अभियान के बारे में जागरूक करके शामिल करना।
समय अवधिः 5 मार्च से 10 मार्च
सभी प्रखंडों/शहरों में धरना देना है और एक समन्वय समिति का गठन करना है। यह धरना शहीद चौक या गांधी चौक (आमतौर पर हर शहर का अपना शहीद चौक या गांधी चौक होता है) पर आयोजित किया जाएगा।

चरण- 3ः न्याय यात्रा (पदयात्रा)
लक्ष्यः सभी जिलों में 50 किलोमीटर तक पदयात्रा निकालने का लक्ष्य है।
समय अवधिः 17 मार्च से 20 मार्च
प्रत्येक जिले में सैनिकों के लिए ‘‘न्याय यात्रा“ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 50 किलोमीटर की पदयात्रा की जाएगी। यह यात्रा संयोजक समिति और न्याय योद्धाओं के नेतृत्व में निकाली जाएगी।
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‘जय जवान’ अभियान ‘युवा न्याय’ का भाग है – हमारे बेरोजगार युवाओं को न्याय प्रदान करना और उनके सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बड़ा लक्ष्य है।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (सेवानिवृत्त) के अनुसार अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों के लिए ’अचानक हुए वज्रपात’ बनकर आई है, क्योंकि उनके अनुसार, इसे केवल भारतीय सेना में लागू किया जाना था, लेकिन बाद में इसे भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना पर भी लागू कर दिया गया। पूर्व सेना प्रमुख का यह भी कहना है कि शुरू में ‘अग्निवीर’ के रूप में नामांकन के 4 साल बाद इस योजना का त्मजमदजपवद 75 प्रतिशत था, जिसे योजना के अपमानजनक रूप से शुरू होने के बाद केवल 25 प्रतिशत में बदल दिया गया था।
नियमित भर्ती प्रक्रिया द्वारा स्वीकार किए गए 1.5 युवाओं में से 7,000 भारतीय वायु सेना के हैं और 2,500 को नर्सिंग असिस्टेंस आर्मी (मेडिकल कोर) में नर्सिंग असिस्टेंटके रूप में नामांकित किया जाना था।
इसके अलावा, सेना ने 2020-21 में देश भर में केवल 97 भर्तियां आयोजित कीं, लाखों युवाओं ने भाग लिया जो शारीरिक/चिकित्सा और दस्तावेज़ सत्यापन पास कर चुके थे और सेना भर्ती परीक्षा (अंतिम चरण) की प्रतीक्षा कर रहे थे, सेना ने 4 बार लिखित परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी किए। जारी किया गया, लेकिन हर बार परीक्षा स्थगित कर दी गई और भविष्य में आयोजित करने की घोषणा की गई। इसके मुताबिक 50 लाख से ज्यादा युवाओं से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा कराए गए, जिसका नतीजा सेना और युवा दोनों के लिए जीरो रहा।
‘जय जवान’ अभियान यह भी उजागर करेगा कि अग्निपथ अभियान ने हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को कैसे कुचल दिया है : –
(प) अग्निपथ में चयनित युवाओं को सेना के नियमित सैनिकों की तुलना में कम वेतन मिलता है (कुल मासिक वेतन लगभग 21 हजार रुपये ही होता है, जबकि नियमित सैनिकों को 45 हजार रुपये मिलते हैं)। इन युवाओं को ’महंगाई भत्ता’ की सुविधा भी नहीं मिलती है ’ और ’सैन्य सेवा वेतन’ भी नहीं मिलता।

(पप) शहीद होने के बाद भी उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिलता है, जिसके कारण उनके परिवारों को वह सहयोग और समर्थन नहीं मिल पाता है जो एक नियमित सेना के जवान को मिलता है। उदाहरण के लिए, एक नियमित सेना के जवान को 15 साल तक पूरा वेतन मिलता है और उसकी पेंशन उसके जीवनकाल तक होती है, जबकि अग्निपथ में चयनित युवा के परिवार को तब तक लाभ मिलता है जब तक पत्नी और माता-पिता जीवित हैं।
(पपप) अग्निपथ में चयनित युवा किसी भी प्रकार की चिकित्सा और अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकते हैं जो नियमित सेना कर्मियों को उपलब्ध हैं, जैसेः
(ं) 15 साल तक फुल पे मिलती तथा रिटायरमेंट उम्र आने पर यह पे, उसकी फैमिली पेंशन में तब्दील हो जाती, जो कि ताउम्र उसके परिवार को मिलती रहती, जब तक पत्नी व माता-पिता जीवित रहते है।
(इ) आम सैनिक की शहादत पर दिए जाने वाले 75 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस मिलता है।
(ब) 55 लाख रुपए एक्स-ग्रेशिया अमाउंट जितनी राशि मिलती है।
(क) मेडिकल फैसिलिटी मिलती है।
(म) CDS फैसिलिटी मिलती है।
(ि) सभी तरह के मिलिट्री बेनेफिट जो सरकार कभी भी अनाउंस करती, वह मिलता है।

(पअ) चार साल बाद भी फिर से बेरोजगारी का सामना करनाः

(ं) अग्निपथ में चयनित युवाओं को स्थायी नौकरी की गारंटी नहीं दी जाती है, जिसके कारण उन्हें असुरक्षित महसूस करना पड़ता है।
(इ) पहले की नियुक्तियों को खारिज़ किया जानाः अग्निपथ के आने के बाद पूर्व की भर्ती प्रक्रिया से चयनित उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग देने से मना किया जाता है, जिनकी संख्या 1.5 लाख है।
(अ) अग्निवीर को ’रिटायरमेंट’ के बाद ये नहीं मिलेगाः

ग्रेच्युटी, चिकित्सा सुविधाएं, पेंशन, कैंटीन सुविधाएं, पूर्व सैनिक का दर्जा, पूर्व सैनिकों और उनके बच्चों के लिए आरक्षित रिक्तियां, बच्चों के लिए छात्रवृत्ति और कोई भी सैन्य लाभ जो सरकार कभी भी नियमित सैनिकों के लिए घोषित करेगी, उपलब्ध नहीं होंगे।

(अप) करियर के अवसरों की कमीः

(ं) आरटीआई के अनुसार, 2022-23 में आवेदन करने वालों की संख्या 34 लाख थी, जो 2023-24 में 10 लाख के करीब हो गई है। इसका स्पष्ट संकेत है कि युवाओं का सेना की ओर रुझान अब घट रहा है।
(इ) हाल के दिनों में यूपी कांस्टेबल की भर्ती में 50 लाख से भी अधिक आवेदन किए गए हैं, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 4 साल के अग्निवीर बनने की जगह, वे दूसरे क्षेत्रों में रोजगार की खोज कर रहे हैं। ये अकेले युवा नहीं हैं जिनके सपने मोदी सरकार ने चकनाचूर कर दिए हैं।

  1. बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. बेरोजगारों की संख्या 1 करोड़ (2012) से चौगुनी होकर 4 करोड़ (2022) हो गई है।
  2. तीन में से एक ग्रेजुएट नौकरी की तलाश में है; इंजीनियर कुली के रूप में काम करते हैं और पीएचडी रेलवे चपरासी के रूप में आवेदन करते हैं।
  3. सरकार ने जीएसटी और विमुद्रीकरण और अनियोजित लॉकडाउन जैसी नीतियों से 90 प्रतिशत नौकरियां पैदा करने वाले एमएसएमई को नष्ट कर दिया है। परिणामस्वरूप, युवा कम वेतन वाली कृषि नौकरियों के लिए अपने गांवों में वापस चले गए हैं।
  4. हर घंटे दो बेरोजगार व्यक्ति आत्महत्या करते हैं। (छब्त्ठ)
    अब समय आ गया है कि भारत के युवा अपने ऊपर लगे अभिशाप के लिए मोदी सरकार को जवाबदेह बनाएं।
    हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे प्रतिभाशाली देशभक्त युवाओं को हमारी सेनाओं में स्थायी नौकरी मिले।
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