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सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद फिर खुला व्यापमं का जिन्न

कांग्रेस ने मांगा मुख्यमंत्री और मौजूदा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा से इस्तीफा, कहा इनके विरूद्व हो आपराधिक प्रकरण दर्ज

भोपाल – प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने आज कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित एक पत्रकार वार्ता में वर्ष-2014 में हुये व्यापमं महाघोटाले के दौरान परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई व्यापक गड़बड़ियों/ घपलों/ घोटालों और हुये बड़े भ्रष्टाचार को लेकर एक बार फिर शिवराज सरकार को घेरते हुये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा जो वर्तमान में वित्त मंत्री हैं, से इस्तीफे की मांग की है।
श्री मिश्रा ने कहा कि 21 जून, 2014 को जब व्यापमं महाघोटाले को मेरे द्वारा सार्वजनिक किया गया था, तब सत्ता के नशे में चूर मौजूदा भ्रष्टाचारी सरकार ने मुझे राजदंड दिलवाकर दो वर्षों की सजा और अर्थदण्ड से नवाजा था। आज फिर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश के आधार पर मैं फिर कहना चाहूंगा कि परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा पूरी तरह भ्रष्टाचार में तब्दील हो गई थी और बड़े लेन-देन के बाद योग्य अभार्थियों की उपेक्षा करते हुये अपात्र और अयोग्य लोगों का चयन भारी भरकम लेन-देन के बाद किया गया था। यही नहीं इस परीक्षा में आरक्षित महिला आरक्षकों के लिए स्वीकृत 100 पदों के बदले सिर्फ 40 महिला आरक्षकों की ही भर्ती की गई थी? जिसे देश की सर्वोच्च अदालत ने अब गलत माना है!
श्री मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरते हुए कहा कि वे बतायें कि वोटों की फसल काटने के लिए वे रक्षाबंधन पर बहन-बेटियों को एक ओर जहां पुलिस भर्ती में 35 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की घोषणा करते हैं, वहीं दूसरी ओर व्यापमं के माध्यम से संपन्न परिवहन आरक्षण भर्ती परीक्षा-2014 में उनकी सरकार नोटों के लिए उनके लिए आरक्षित 60 प्रतिशत आरक्षण में हेराफेरी कर 40 प्रतिशत कर देती है, इसके नैपथ्य में उनकी सरकार में कौन सी ईमानदारी छिपी हुई है? बेटियों का हक छीनकर अपने आर्थिक लाभ के लिए वे कौन-कौन से घिनौने चेहरे हैं, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद वे सार्वजनिक होने चाहिए। उन्होंने अपने उस आरोप को भी पुनः दोहराया कि जब व्यापमं द्वारा आयोजित इस परीक्षा की अधिसूचना में मई-2012 के समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापन में 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती का उल्लेख किया गया था, तो 332 परिवहन आरक्षकों को चयनित कैसे, किसकी अनुमति से और किस वैधानिक प्रक्रिया को अपनाने के बाद किया गया। इससे संबंधित प्रामाणिक दोषी चेहरों को ईमानदार (?) शिवराज सरकार ने 9 सालों के बाद भी अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया?
श्री मिश्रा ने यह भी कहा कि अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बात पर आपत्ति जता दी है कि महिला और पुरूष अभार्थियों के चयन में शारीरिक और हाईट संबंधी माप के अलग-अलग मापदंड नहीं थे, ऐसा क्यों और किन्हें लाभ पहुंचाने के लिए किया गया? प्रदेश के मुखिया को बताना चाहिए? इसी के साथ यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि जब मुख्यमंत्री ने 15 जनवरी, 2014 को विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह स्वीकार किया था कि व्यापमं द्वारा आयोजित विभिन्न 168 परीक्षाओं में कुल 1 लाख 47 हजार परीक्षार्थी बैठे हैं, जिसमें 1000 फर्जी पाये गये हैं, उनके ही कथनानुसार उन फर्जी परीक्षार्थियों के विरूद्व दर्ज एफआईआर का अब तक क्या हुआ? उन्हें यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं के महाघोटाले में 23 एफआईआर दर्ज हुईं थी, उसमें कांग्रेस के दबाव के बावजूद अंतिम एफआईआर परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा की क्यों हुई, सरकार ने सारे प्रमाणों के बावजूद इस एफआईआर को दर्ज क्यों नहीं किया था? शायद इसी पाप के लिए?
श्री मिश्रा ने कहा कि क्या यह भी झूठ है कि माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर को मप्र सरकार द्वारा जो हलफनामा दाखिल किया गया था कि उक्त परीक्षा में 313 परिवहन आरक्षकों का चयन और 17 चयनित आरक्षकों द्वारा अपनी ज्वाईनिंग रिपोर्ट परिवहन विभाग को नहीं दिये जाने की बात स्वीकार की गई थी, इन विसंगतियों की सच्चाई आज तक सामने क्यों नहीं आयी? सरकार के ही दस्तावेंजों और आंकड़ों में अतंर क्यों?
श्री मिश्रा ने कहा कि क्या यह भी झूठ है कि परिवहन आरक्षकों की भर्ती परीक्षा में तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा ने चयनित परिवहन आरक्षितों को राहत प्रदान करने हेतु उनके फिजीकल टेस्ट भी न कराये जाने बावत एक सरकारी पत्र भी जारी किया था, जो दस्तावेजों में उपलब्ध है। इस आधार पर जांच एजेंसियों ने श्री देवड़ा से पूछताछ क्यों नहीं की, जबकि नियमानुसार पुलिस भर्ती की सभी सेवाओं में ऐसे टेस्ट अनिवार्य हैं। क्या ऐसे मंत्री को मंत्रिमण्डल में बने रहने का नैतिक अधिकार है?
श्री मिश्रा ने मुख्यमंत्री से यह भी जानना चाहा है कि इस बात की भी चर्चा है कि उक्त परीक्षा का घोटाला उजागर होने के बाद परिवहन विभाग के अतिरिक्त परिवहन आयुक्त आर.के. चौधरी ने तत्संबंधित रिकार्ड कार्यालय और कम्प्यूटर से नष्ट करवाये थे! मुख्यमंत्री से उनकी रिश्तेदारी क्या है?
श्री मिश्रा ने एक बार फिर गंभीर आरोप लगाया है कि 27 मार्च, 2014 के पहले मुख्यमंत्री द्वारा अपना बीएसएनएल का मोबाईल नंबर 9425609855 उपयोग में लाया जा रहा था। बीएसएनएल की योजना के तहत उनके द्वारा उपयोग में लाये जा रहे इस मोबाईल के साथ एक अन्य एडॉन सिम जिसका नंबर 9425609866 था जो आदरणीया श्रीमती साधना सिंह उपयोग करती थीं। इन दोनों ही नंबरों को जांच एजेंसी ने जांच में शामिल क्यों नहीं किया और घोटाला उजागर होने के बाद 27 मार्च, 2014 से आज तक इन दोनों ही मोबाईल की सिमों को बंद क्यों कर दिया गया है? यह सार्वजनिक होना चाहिए?
श्री मिश्रा ने सरकार से यह भी पूछा है कि जिस व्यापमं महाघोटाले में हुये गंभीर अपराधों को लेकर उंगली तत्कालीन राज्यपाल के विरूद्व एफआईआर दर्ज हुई हो, उनका ओएसडी धनराज यादव जेल गया, मुख्यमंत्री के तत्कालीन ओएसडी प्रेम प्रकाश की जमानत हुई, मंत्री जेल गये, आईएएस, आ

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