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सामुहिक बलात्कार के आरोपी विजयवर्गीय ने छुपाया सच, विजयवर्गीय का असली चेहरा उजागर

कांग्रेस की आपत्ति को जिला निर्वाचन अधिकारी ने दबाव में किया खारिज

भोपाल – शपथ पत्र मे गलत व अपूर्ण जानकारी देने के बावजुद विजयवर्गीय को संरक्षण चुनाव आयोग से जिला निर्वाचन अधिकारी के गैर कानूनी कृत्य की करेंगे शिकायत। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 01 के भाजपा के प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय के द्वारा अपना नामांकन दाखिल करने के साथ प्रस्तुत किये गये शपथ पत्र मे गलत एवं अपूर्ण जानकारी दी गई है। विजयवर्गीय के द्वारा उनके खिलाफ दर्ज हुए सामुहिक बलात्कार के मामले को छुपाया गया है। इस मामले की कोई जानकारी इस शपथ पत्र मे नही दी गई है। इस मामले मे जब कांग्रेस के द्वारा आपत्ति ली गई तो राजनैतिक दबाव और प्रभाव के चलते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी के द्वारा नियम के विपरीत आचरण कर कांग्रेस की आपत्ति को खारिज कर दिया गया। शपथ पत्र में गलत व अपूर्ण जानकारी दिये जाने के सबुत होने के बावजुद विजयवर्गीय को संरक्षण दिया गया। कांग्रेस के द्वारा इस मामले मे अब जिला निर्वाचन अधिकारी के गैर कानुनी कृत्य की शिकायत चुनाव आयोग से की जायेगी।
विजयवर्गीय के खिलाफ एक महिला के द्वारा पश्चिम बंगाल के सीजेएमसी न्यायलय में धारा 156 (3) के तहत एक निजी परिवाद प्रस्तुत किया गया। इस निजी परिवाद में यह कहा गया कि कैलाश विजयवर्गीय और उनके मित्र प्रदीप जोशी तथा जिष्णु बसु के द्वारा उक्त महिला के साथ सामुहिक बलात्कार किया गया। इस महिला की शिकायत पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय के द्वारा इस शिकायत को खारिज कर दिया गया। न्यायालय के इस आदेश को ज्यादती की शिकार महिला के द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय के द्वारा इस मामले की सुनवाई करने के उपरांत पारित किये गये आदेश मे अधीनस्थ न्यायालय को कहा गया कि इस आदेश की प्रति मिलने के 7 दिन के अंदर अपने पुराने आदेश पर पुर्नविचार करे और मामले का निराकरण करे। उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये इस आदेश के परिपेक्ष्य में अधीनस्त न्यायालय के द्वारा बाद में मामले की फिर से सुनवाई की गई और नया आदेश पारित किया गया।
न्यायालय के द्वारा थाना बिलाला को यह निर्देश दिया गया कि इस मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज कर मामले की जांच की जाये। न्यायालय के द्वारा दिये गये आदेश के आधार पर पुलिस थाना बिलाला ने कैलाश विजयवर्गीय, प्रदीप जोशी एवं जिष्णु बसु के खिलाफ आईपीसी की धारा 417,376,406,313,120 बी के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया।
इस मामले में उच्च न्यायालय के द्वारा दिये गये आदेश के खिलाफ कैलाश विजयवर्गीय के द्वारा सर्वाेच्च न्यायलय में रिवीजन प्रस्तुत कर चुनौती दी गई। सर्वाेच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के उपरांत उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
उपरोक्त पुरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ सामुहिक बलात्कार का मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मुकदमे की उनको जानकारी है। उनके द्वारा मुकदमे को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका लगाई गई है। यह संपूर्ण जानकारी होने के बावजुद विजयवर्गीय के द्वारा अपने शपथ पत्र मे इस अपराध का उल्लेख नही किया गया है। शपथ पत्र मे जान बुझकर तथ्यो को छुपाना भी एक अपराध है। इस मामले को लेकर नामांकन पत्र की जांच के दौरान कांग्रेस के द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष सबुत प्रस्तुत करते हुए आपत्ति ली गई। राजनैतिक दबाव और प्रभाव में दबे हुए इन्दौर के जिला निर्वाचन अधिकारी ने विजयवर्गीय की गलतियो को संरक्षण देते हुए कांग्रेस की आपत्तियो को खारिज कर दिया। इससे यह स्पष्ट है कि इन्दौर के जिला निर्वाचन अधिकारी भाजपा के दवाब में भाजपा के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे है। जब निर्वाचन अधिकारी ही निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहा हो तो फिर निष्पक्ष चुनाव की अपेक्षा ही नही की जा सकती है। कांग्रेस के द्वारा अब चुनाव आयोग के समक्ष जाकर कैलाश विजयवर्गीय के कृत्य और जिला निर्वाचन अधिकारी के अवैधानिक फैसले की शिकायत की जायेगी। इस शपथ पत्र में यह भी उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग के द्वारा निर्धारित किये गये प्रारूप से अलग हट कर शपथ पत्र बनाकर प्रस्तुत किया गया है। ऐसा यदि किसी अन्य प्रत्याशी के द्वारा किया गया होता तो उसका नामांकन पत्र ही निरस्त कर दिया जाता।
दुर्ग (छत्तीसगढ) न्यायालय से है फरार आरोपी कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ दुर्ग में वहां के तत्कालीन महाधिवक्ता कनक तिवारी के द्वारा मानहानि का मुकदमा लगाया गया है। इस मुकदमे मे निर्धारित प्रकिया के अनुसार विजयवर्गीय के नाम पर समन जारी किया गया। इस समन की तामिली होने के उपरांत भी जब वे न्यायलय में उपस्थित नही हुए तो उनके नाम पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। यह जमानती गिरफ्तारी वारंट था, इस वारंट के उपरांत भी जब विजयवर्गीय न्यायालय में उपस्थित नही हुए तो न्यायालय के द्वारा उन्हे फरार घोषित करते हुए उनके नाम पर स्थायी वारंट जारी कर दिया गया। इस तरह छत्तीसगढ़ के दुर्ग से कैलाश विजयवर्गीय फरार अपराधी है। विजयवर्गीय के द्वारा अपने इस अपराध की जानकारी को भी अपने नामांकन पत्र और शपथ पत्र में छुपाया गया है।

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