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सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद प्रियंका की ग्वालियर में पहली सभा, 20% दलित-ओबीसी वोटर्स पर टारगेट

प्रियंका की मध्यप्रदेश में दूसरी और ग्वालियर में 21 जुलाई को पहली चुनावी सभा

ग्वालियर – कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की मध्यप्रदेश में दूसरी और ग्वालियर में 21 जुलाई को पहली चुनावी सभा होगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पहली बार गांधी परिवार का कोई सदस्य ग्वालियर में सभा करेगा। जानकार कहते हैं कि ये सभा ग्वालियर में कराकर कांग्रेस की कोशिश एक तीर से तीन निशाने साधने की है।
पहला- ग्वालियर-चंबल के 20% दलित वोटर्स को साधे रखना, जिसके दम पर पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां बढ़त हासिल की थी। दूसरा- ओबीसी वोटर्स को अपने साथ रखना। ग्वालियर-चंबल में ओबीसी वोटर्स की संख्या ज्यादा है। कांग्रेस को लगता है कि प्रदेश में सबसे पहले कमलनाथ सरकार ने इस वर्ग के लिए 27% आरक्षण की घोषणा की थी। इस कारण यह वर्ग चुनाव में उसे सपोर्ट करेगा। तीसरा- सिंधिया को उनके ही गढ़ में मात देना, माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी का भाषण इन तीन मुद्दों के इर्द-गिर्द रहेगा।

प्रियंका की सभा का कांग्रेस को कितना फायदा

कांग्रेस पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई कहते हैं कि ग्वालियर-चंबल में अब तक सिंधिया ही क्षत्रप थे, लेकिन अब कांग्रेस के लिए मैदान खाली है। प्रियंका की सभा इसलिए भी कांग्रेस के लिए मायने रखती है, क्योंकि जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो भाजपा के केंद्रीय मंत्री तोमर व सिंधिया ने पूरे इलाके को कवर कर लिया है। अब कांग्रेस प्रियंका को लाकर दलित वोट बैंक को भी बनाए रखना चाहती है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दलित वर्ग से आते हैं और सब जानते हैं कि उन्हें यह पद देने का श्रेय गांधी परिवार को है। ऐसे में प्रियंका की सभा से कांग्रेस इस वर्ग को साधना चाहती है।

सिंधिया की बगावत का ग्वालियर- चंबल में कांग्रेस को फायदा होगा?

कांग्रेस को उम्मीद है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिंया व उनके समर्थक विधायकों की बगावत का अब फायदा मिलेगा। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सिंधिया व उनके समर्थकों की बगावत से इलाके में लोग नाराज हैं, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया था।
राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई कहते हैं कि सिंधिया के बीजेपी में जाने से कांग्रेस को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उसे इस इलाके में उम्मीदवारों का चयन करने में आसानी होगी। पहले सिंधिया का हस्तक्षेप ज्यादा था। उनके कहने पर करीब 60 सीटों पर उम्मीदवार तय होता था, लेकिन अब सर्वे के आधार पर कांग्रेस नाम घोषित करेगी।

सिंधिया पर भारी पड़ रहे कमलनाथ

सी वोटर के सर्वे के अनुसार सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल में बीजेपी की स्थिति ठीक नहीं हैं। यहां कमलनाथ का पलड़ा भारी है। इस अंचल में विधानसभा की कुल 34 सीटें हैं। अभी अधिकांश सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, लेकिन हाल ही में हुए इस सर्वे के मुताबिक 46% वोट शेयर कमलनाथ की तरफ जा रहा है।

बीजेपी को 41%, बीएसपी को 3% और अन्य के खाते में 10 % वोट जा रहा है। वोट फीसदी के हिसाब से देखें तो कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में बढ़त है। यदि सीटों का गणित से देखें तो बीजेपी को इस इलाके में 7-11 सीटें, कांग्रेस को 22-26, बीएसपी को 0-2 और अन्य को ए

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