त्यौंथर में 6 वर्षीय बच्चा मयंक आदिवासी बोरवेल में फंसा Uncategorized by mpeditor - April 13, 2024April 13, 20240 रीवा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी नीलम अभय मिश्रा पहुंची परिजनों से मिलने रीवा रीवा जिले के त्यौंथर में 6 वर्षीय बच्चा मयंक आदिवासी बोरवेल में फंसा हुआ है और बहादुरी से संघर्ष कर रहा है।रीवा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती नीलम अभय मिश्रा जी ने घटनास्थल पर पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की एवं प्रशासन से हर संभव मदद करने की अपील की। खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। रीवा में शुक्रवार को एक खेत के बोरवेल में गिरे 6 साल के बच्चे को अब तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। यह पहली घटना नहीं है। खुले बोरवेल काल बनकर बच्चों को निगले जा रहे हैं। और सरकार आंकड़े तक नहीं जुटा पा रही है। मप्र में पिछले पांच वर्षों में ही 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। मप्र सरकार की योजना थी कि इसके लिए एक विशेष पोर्टल बने, जिस पर प्रदेश के सभी बोरवेल का डाटा तो हो ही, खनन करने वाले ठेकेदारों और मशीनों तक का पंजीयन हो। इस संबंध में 14 दिसंबर 2023 को पीएचई के तत्कालीन प्रमुख सचिव संजय शुक्ल ने निर्देश भी जारी किए थे, लेकिन योजना कागजों से बाहर ही नहीं आ सकी। इसके बाद 7 फरवरी को अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव ने भी प्रदेश के सभी कलेक्टर को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2010 में जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार सुरक्षा के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। इस पत्र में भी नलकूप खनन से जुड़े कामों की मॉनिटरिंग के लिए पोर्टल बनाने से जुड़ी जानकारी दी गई है। मुख्य सचिव वीरा राणा ने भी प्रदेश के समस्त कलेक्टर, सीईओ, नगर पालिका के कमिश्नर व सीएमओ को इस संबंध में आदेश जारी किया था। अभी तक 4 मामलों में सिर्फ 8 पर केस हुए हैं। सभी जमानत पर खुले बोरवेल की लापरवाही के लिए प्रदेश में सिर्फ चार मामलों में आठ लोगों पर केस दर्ज किया गया है। खुले बोरवेल पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन कहती है कि किसी भी भूस्वामी को बोरवेल के निर्माण के लिए 15 दिन पहले कलेक्टर या पटवारी को जानकारी देनी होगी। बोरवेल की खुदाई करने वाली कंपनी या मशीन ओनर को जिला प्रशासन या अन्य सक्षम कार्यालय में रजिस्टर होना अनिवार्य होगा। बोरवेल के आसपास साइन बोर्ड लगवा कर जानकारी देनी होगी। जिसमें बोरवेल करने वाली मशीन और भूमि मालिक की जानकारी दी जाए। बोरवेल के चारों ओर कटीली तारों से फेन्सिंग हो। खुले बोरवेल को ढक्कन लगाकर बंद किया जाए। लेकिन इन गाइडलाइन का पालन नहीं हो पाता। कुछ हलचल होती है। फिर वही ढर्रा चलने लगता है।