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हमीदिया के जिम्मेदारों ने प्लानिंग ही नहीं की

728 करोड़ की नई बिल्डिंग नहीं सह पाएगी कैथ लैब का बोझ

भोपाल – हमीदिया अस्पताल के पुरानी बिल्डिंग में संचालित कैथ लैब को 728 करोड़ की नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने में अब बड़ा पैच आ गया है। बीते 10 दिनों से इसे शिफ्ट करने की तैयारियां चल रही है। इस बीच पीडब्ल्यूडी की विंग पीआईयू का लिखा एक पत्र सामने आया है जिसमें बताया है कि नई बिल्डिंग में जहां कैथ लैब शिफ्ट की जानी है वहां 3 टन की मशीनों का भार सहने की स्ट्रक्चर की क्षमता ही नहीं है। यह भी सामने आया है कि नई बिल्डिंग के थर्ड फ्लोर में कैथ लैब बनाए जाने का कोई प्रावधान ही नहीं था।
कैथ लैब के लिए तोड़-फोड़ करने से पूरी बिल्डिंग का स्ट्रक्चर प्रभावित हो सकता है। इधर, कैथ लैब नहीं चलने से रोज करीब 50 से ज्यादा मरीज परेशान हो रहे हैं। इन्हें बाहर से जांचें करानी पड़ रही है। मालूम हो कि 20 जनवरी को डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने निरीक्षण कर कैथ लैब शिफ्ट करने की बात कही थी।
कैथ लैब शिफ्टिंग के लिए 3 माह का समय लग सकता है। इस दौरान कैथ लैब बंद रहने की आशंका है। हमीदिया में पुरानी बिल्डिंग तोड़ने का काम तेजी से शुरू हो गया है। इसके बाद कैथ लैब में लगी मशीनों को खोला जाएगा। इसके बाद सामान को नए भवन में पहुंचाया जाएगा। ये दोनों प्रक्रिया एक दिन में पूरी करनी होगी।
दूसरे दिन सामान को फाइनल हुए स्थान तक चढ़ाया जाएगा। अंत में मशीनों का इंस्टॉलेशन किया जाएगा। ओपीडी ब्लॉक में 2025 तक नई एडवांस कैथ लैब बनाए जाने का प्रस्ताव है। इसके बाद दो कैथ लैब होंगी। इधर, जीएमसी की कार्यकारिणी की बैठक में कैथ लैब की मशीनों की एएमसी व सीएमसी के लिए 30 लाख 68 हजार रुपए मंजूर हुए थे।
कैथ लैब प्रभारी नर्स को बनाया… जीएमसी में 2002 में कैथ लैब बनी। तब इसका प्रभार तकनीशियन मनोज पिल्लई के पास था। 2003 में यह प्रभार तत्कालीन स्टाफ नर्स को दे दिया गया। 20 सालों से यह प्रभार तकनीशियन के बजाय नर्स के पास ही है। इसके कारण लैब में होने वाले प्रोसीजर्स में न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। टेक्नीशियन होने पर यह कठिनाइयां आसानी से हल हो सकती थीं।

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