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नर्सिंग कॉलेज मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार हाईकोर्ट को सख्त होने मजबूर कर रही है

जबलपुर हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

जबलपुर – फर्जी नर्सिंग कॉलेज मामले की सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, सरकार अपने रवैये से हाईकोर्ट के सख्त होने मजबूर कर रही है। युगलपीठ ने डीएमई को पूर्व रजिस्टार के खिलाफ की गई डे-टू-डे कार्यवाही रिपोर्ट के साथ शुक्रवार को उपस्थित होने के निर्देश जारी किए हैं।
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई। वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। ऐसा कोई कॉलेज नहीं है, जो निर्धारिण मापदंड पूरा करता है। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि 80 कॉलेज में ऐसे हैं, जिसमें एक व्यक्ति उसकी समय में कई स्थानों में काम कर रखा है। दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य है और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है। टीचिंग स्टॉफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा था। माइग्रेट फैक्लटी के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किये जाने को मामला हाईकोर्ट के समक्ष उठाया गया था।
पूर्व में हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन कौसिंल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे। याचिका पर बुधवार को पूर्वान्ह हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने डीएमई को शाम चार बजे तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिये थे। वीडियों कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का आग्रह हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था। भोपाल से जबलपुर तक का सफर सड़क मार्ग से तय करने के बावजूद भी डीएमई समय पर हाईकोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाए थे।
याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित डीएमई ने हलफनामा पेशकर युगलपीठ को बताया गया कि पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को गत शाम भोपाल से इंदौर के लिए रिलीव कर दिया गया है। पूर्व आदेश के पालन में सुनीता सिजु को नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार के पद से हटाते हुए विभिन्न अनियमित्ताओं हेतु नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। जबाव संतोषजनक नहीं होने के कारण उनके खिलाफ विभागीय जांच प्रारंभ कर दी गई है।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आलोक वागरेजा ने युगलपीठ को बताया गया कि पूर्व रजिस्टार का स्थानांतरण नौ जून को इंदौर दिया गया था। कोर्ट की सख्ती के कारण गत शाम रिलीव किया गया है। कार्यवाही के संबंध में उन्हें 28 मई को नोटिस जारी कर सात दिनों पर जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। सरकार ने स्टेला पीटर को रजिस्टार नियुक्ति किया है। उन्होंने साल 2020 में ग्वालियर संभाग के 46 कॉलेजों का मान्यता इंपेक्टर के रूप में निरीक्षण किया था। उन्होंने ही इन कॉलेजों को मान्यता देने की अनुशंसा की थी। हाईकोर्ट के आदेश में हुई जांच के दौरान 70 कॉलेज फर्जी पाए गए थे, जिसमें से 16

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