You are here
Home > Uncategorized > नीलम पार्क में आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारियों का अधिकार सम्मेलन संपन्न, सीएम हाउस पहुंचकर दिया मांगपत्र

नीलम पार्क में आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारियों का अधिकार सम्मेलन संपन्न, सीएम हाउस पहुंचकर दिया मांगपत्र

नौकरियों में आउटसोर्स कल्चर ने लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद किया: वासुदेव शर्मा

भोपाल – शासकीय विभागों में कार्यरत प्रदेश के दसियों हजार आउटसोर्स, अस्थाई एवं निष्कासित कर्मचारियों ने प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में नीलम पार्क में अपने हक अधिकार की बात की और सरकार से आउटसोर्स कल्चर समाप्त कर विभाग में संविलियन की मांग एक स्वर से उठाई। ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के 10 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने सीएम हाउस पहुंचकर मुख्य विभिन्न विभागों से मिले 500 से अधिक मांगपत्र सौंपे। प्रतिनिधिमंडल में बृजेश पांडे, रोहित लोधी, शैलेंद्र प्रजापति, विजय कुमार, महेंद्र बैन, प्रकाश पुंज, महेश पांडे, गायत्री जायसवाल, विक्रम राजोरिया, अरूण यादव, ब्रजेश समाधिया शामिल रहे। आउटसोर्स अधिकार सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथजी के प्रतिनिधि के तौर पर पूर्व मंत्री पी सी शर्मा एवं विधायक आरिफ मसूद उपस्थित रहे और सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कमलनाथ के नेतृत्व में बनने वाली कांग्रेस की सरकार अन्यायकारी आउटसोर्स कल्चर को समाप्त कर आप लोगों का भविष्य सुरक्षित करेगी। कार्यक्रम का संचालन जगदीश परमार ने किया। आउटसोर्स अधिकार सम्मेलन को दर्जनों कर्मचारी संगठनों का समर्थन मिला, जिनमें अपाक्स अध्यक्ष भुवनेश पटेल, कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा के जितेंद्र सिंह, राज्य अध्यापक संघ के अध्यक्ष जगदीश यादव, दिनेश शुक्ला, पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के अध्यक्ष सतेंद्र तिवारी प्रमुख रूप से शामिल रहे।
आउटसोर्स अधिकार सम्मेलन ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि यदि मुख्यमंत्रीजी सम्मेलन बुलाकर मांगों का निराकरण नहीं करते हैं तो प्रदेश के लाखों आउटसोर्स कर्मचारी 10 सितंबर को फिर भोपाल आएंगे और अन्यायकारी नीतियां बनाने वाले बल्लब भवन का घेराव करेंगे, इससे पहले 27 अगस्त को कलेक्टर कार्यालय पर प्रदर्शन कर इसकी सूचना देकर अपने हक की बात करेंगे।
आउटसोर्स अधिकार सम्मेलन में बोलते हुए प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि सरकार ने नौकरियों में आउटसोर्स कल्चर लागू करके 12 लाख युवाओं को गुलाम बना लिया है, हक की बात करने पर नौकरी से निकाल दिया जाता है, न्यूनतम वेतन नहीं दिया जाता, सरकार के संरक्षण में पीएफ में बडे स्तर पर चोरी हो रही है, जिसे एकजुट संघर्ष से ही रूकवाया जा सकता है। शर्मा ने कहा कि प्रदेश के लाखों आउटसोर्स, अस्थाई कर्मियों की जिम्मेदारी है कि वह अपनी मजबूत एकता बनाकर सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराएं, जिससे वह आउटसोर्स कल्चर को समाप्त कर विभाग में संविलियन के लिए मजबूर हो। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों का संघर्ष सरकारी विभागों को निजीकरण से बचाने का संघर्ष है, भाजपा सरकार सरकारी विभागों को आउटसोर्स प्रथा लागू करके ठेकेदारों को बेच रही है। सरकार ने क्लास -3, क्लास- फोर की सरकारी नौकरियां खत्म कर आउटसोर्स कर दी हैं, सरकार का यह फैसला गरीब, मध्यमवर्ग के बच्चों से सरकारी नौकरी के अधिकार से हमेशा के लिए वंचित करने वाला है, इसलिए आप लोग आउटसोर्स के आंदोलन से जनता को जोड़ें, उसे यह समझाएं कि भाजपा सरकार ने आपके बच्चों से सरकारी नौकरी का अधिकार छीन लिया है।

Top