You are here
Home > Uncategorized > प्रियंका और कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर शिवराज सरकार ने भ्रष्टाचारी होना स्वीकार किया

प्रियंका और कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर शिवराज सरकार ने भ्रष्टाचारी होना स्वीकार किया

शिवराज सरकार में 50 प्रतिशत कमीशन का झूठ बेनकाब

भोपाल – मध्यप्रदेश में 50 प्रतिशत कमीशन राज की शिवराज सरकार को बेनकाब करने पर भाजपा ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी जयराम रमेश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव सहित कई नेताओं पर पूरे प्रदेश में मुकदमा दर्ज किया है। कांग्रेस चोरी और सीना जोरी की इस कार्यवाही का विरोध और घोर निंदा करती हैं। कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता संकल्प लेता है कि वह आदरणीय कमलनाथ के नेतृत्व में इस कमीशन राज की शिवराज सरकार को उखाड़ फेंकेगा और मध्यप्रदेश को कमीशन राज और घोटालों से मुक्ति दिलाएगा।
मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के 50 प्रतिशत के कमीशन राज को उजागर करने वाले पेटी कांट्रेक्टर भाई का बहुत-बहुत धन्यवाद, इस पत्र को समाचार पत्रों में प्रकाशित करने वाले पत्रकार साथियों का बहुत धन्यवाद। और इन समाचारों को ट्वीट कर पूरी दुनिया के सामने शिवराज सिंह चौहान सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश और मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव सहित सभी नेताओं का बहुत-बहुत धन्यवाद।
मध्यप्रदेश में आखिरकार आधिकारिक रूप से शिवराज सिंह चौहान सरकार का 50 प्रतिशत का कमीशन राज सामने आ गया है। सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे प्रदेश को एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से एक ठेकेदार ने फरियाद की कि 50 प्रतिशत कमीशन के कारण प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। इस पत्र को मध्य प्रदेश के मीडिया ने प्रमुखता से उठाया।
सरकारी ठेकों में किस कदर भ्रष्टाचार हो रहा है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि आज 13 अगस्त के दिन पिछले साल कारम बांध टूट गया था, 300 करोड रुपए की लागत से बना यह बांध पहली बरसात भी नहीं झेल पाया था, इसकी वजह 50 प्रतिशत कमिशन नहीं तो और क्या थी?
मध्यप्रदेश में बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण आहार में घोटाला होने की खबर आप सबके सामने है। महाकाल लोक के निर्माण में भी जिस तरह घोटाला किया गया, वह वहां गिरी सप्त ऋषि की मूर्तियां अपने आप बयान करती हैं। जरा सी बाढ़ में कारम डैम का बह जाना बताता है कि मध्यप्रदेश में ठेकेदारी में कितना कमीशन चल रहा है।
शिवराज ने डंपर घोटाले के साथ अपने कार्यकाल की शुरुआत की थी और 18 साल के कार्यकाल में उन्होंने घोटाले करने का कीर्तिमान बना दिया है। नदी में घोटाला, पहाड़ में घोटाला, स्कूल में घोटाला, शिक्षा में घोटाला, भोजन में घोटाला, भजन में घोटाला, अस्पताल में घोटाला, इलाज में घोटाल, रेमडेसीविर इंजेक्शन में घोटाला, कोरोनाकाल में हुईं मृत्यु छुपाने में घोटाला, पुलिस भर्ती में घोटाला, पटवारी भर्ती में घोटाला, नर्सिंग कॉलेज में घोटाला, पेसा कॉर्डिनेटर भर्ती घोटाला। आकाश से लेकर पाताल तक शिवराज सिंह चौहान ने घोटाले की झड़ी लगा दी है। अब तो मध्य प्रदेश की जनता इस सरकार को कमीशन राज सरकार और सरकार के मुखिया को मिस्टर घोटाला कहने लगी है।
आप सबको याद होगा कि मई 2018 में एक मीडिया संस्थान ने मध्य प्रदेश में हर विभाग के घोटाले का पूरा विस्तृत रिपोर्ट कार्ड जारी किया था। उस रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया था कि मध्य प्रदेश में 51 प्रतिशत लोग यह स्वीकार करते हैं कि सरकारी काम के लिए उन्हें रिश्वत देनी पड़ती है।
जिस भाई ने हाई कोर्ट को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश में 50 प्रतिशत कमीशन और घोटाले को उजागर किया है उसने अपनी तरफ से कमीशन की राशि को थोड़ा कम ही बताया है।
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए भोपाल के आरटीओ को इसलिए हटाया गया क्योंकि आरटीओ दफ्तर में होने वाले लेनदेन की चिट्ठी एक प्रतिष्ठित अखबार ने प्रकाशित कर दी थी।
घोटालों में आकंठ डूबे होने के बावजूद शिवराज सरकार भ्रष्टाचार से दूर रहने और भ्रष्टाचारियों को सजा देने के बजाय भ्रष्टाचार उजागर करने वाले नेताओं के ऊपर मुकदमे कर रही है। मध्यप्रदेश का एक-एक नागरिक जानता है कि उसे छोटा से छोटा काम करने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ रही है। 50 प्रतिशत कमीशन तो बहुत छोटी बात है शिवराज सरकार में कोई काम ऐसा नहीं है जिसके लिए पैसा दो काम लो का सिद्धांत लागू ना होता हो।
शिवराज सरकार ने हर घोटाले की शुरुआत में यही कहा है कि घोटाला नहीं हुआ है, शिकायत करने वाला फर्जी है और शिकायतकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज करना और उत्पीड़न करना इस सरकार की आदत बन गई। इन्होंने व्यापम घोटाले को स्वीकार नहीं किया, लेकिन अंत में सुप्रीम कोर्ट ने खुद मामला अपने हाथ में लिया। भाजपा सरकार ने नर्सिंग कॉलेज घोटाले को स्वीकार नहीं किया लेकिन हाईकोर्ट ने घोटाले पर मोहर लगा दी। शिवराज सरकार ने पहले पटवारी घोटाले को स्वीकार नहीं किया, लेकिन बाद में जांच के लिए तैयार हुये। इसी तरह 50 प्रतिशत कमीशन, घोटाले को भी अंततः भाजपा सरकार को स्वीकार करना पड़ेगा। जिस तरह से कर्नाटक की जनता ने भाजपा के 40 प्रतिशत कमीशन राज को उखाड़ फेंका था, वैसे ही मप्र की जनता शिवराज के 50 प्रतिशत के क

Top