बौद्ध संगठन यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भड़के Uncategorized by mpeditor - July 1, 2023July 1, 20230 अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ ने कहा दिया कि क्या सरकार हमें जबरन हिंदू-मुसलमान बनाना चाहती है भोपाल – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता लागू कराने की बात कहकर बड़ी बहस छेड़ दी। इसके बाद मुस्लिम समाज विरोध में आ गया। अब बौद्ध संगठन यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भड़क गए हैं। अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ ने यहां तक कह दिया कि क्या इस कानून के जरिए सरकार हमें जबरन हिंदू-मुसलमान बनाना चाहती है। संगठन ने बौद्ध समाज के लिए अलग से बौद्ध मैरिज एक्ट बनाने की मांग की है।बौद्ध समाज यूसीसी के विरोध में लामबंद हो गया है। उन्हें कांग्रेस, बसपा समेत कई गैर एनडीए दलों और सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। UCC पर भड़के हुए हैं बौद्ध अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भंते नागतिस्स कहते हैं कि हम समान नागरिक संहिता का विरोध करते हैं। हमारी व्यवस्थाएं अलग हैं। हम उनकी व्यवस्था में कैसे शामिल हो सकते हैं? क्या वे हमसे जबरदस्ती से मार-मारकर मुसलमानी करवाना चाहते हैं? क्या जबरदस्ती हम बौद्धों को हिंदू बनाने की प्रक्रिया चल रही है? ऐसा है, तो लोकतंत्र किस बात का? लोकतंत्र में हर धर्मावलंबी को अपने-अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने या मनाने का अधिकार है। यह अधिकार हमारा कैसे छीन लिया जाएगा? भंते नागतिस्स कहते हैं कि बौद्ध समाज के बीच इन मुद्दों पर बातचीत जारी है। समाज समान नागरिक संहिता जैसे विचार का विरोध करेगा।बौद्ध संगठनों से जुड़े और मध्यप्रदेश में कानूनी पेशेवरों के संगठन, इंडियन लीगल प्रोफेशनल एसोसिएशन (ILPA) के प्रदेश अध्यक्ष मिलिंद वानखेड़े का कहना है कि समान नागरिक संहिता की बात थोपना है। यह बौद्धों के धार्मिक मामलों को प्रभावित करेगी। ऐसे में यह संविधान में वर्णित धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों के खिलाफ है। ऐसा होने पर लोग तथ्यों के साथ इसका विरोध करेंगे। बौद्ध मैरिज एक्ट की जरूरत क्यों भंते नागतिस्स कहते हैं कि बौद्धों के संस्कार किसी अन्य धर्म के संस्कार और परंपराओं से मेल नहीं खाते। जन्म से लेकर, विवाह, गृहस्थी और मृत्यु तक के सभी संस्कार अन्य धर्मों से भिन्न हैं, इसलिए बौद्ध मैरिज एक्ट की जरूरत है। इसके जरिए ही हमारे संस्कारों को कानूनी मान्यता मिल पाएगी। अभी तक हमारे विवाह और व्यक्तिगत कानूनों को हिंदू विवाह अधिनियम और हिंदू व्यक्तिगत कानूनों से नियमित किया जाता है।विवाह का पंजीयन भी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत किया जाता है, जो गलत है। कुछ समाजों में तो ब्राह्मण शादी कराने जाते ही नहीं। पहले भी नहीं जाते थे, अब भी नहीं जाते, आगे भी उनकी संभावना नहीं है। अब समाज इसे लेकर जागरूक हाे रहा है। ऐसे में हमें अलग विवाह कानून की जरूरत है। सरकार को इसे जितनी जल्दी हो बनाकर लागू करना चाहिए।