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युवाओं के भविष्य पर गिरायी अंधियार की गाज, घोटाले बाजों का शिवराज राज

नर्सिंग घोटाला, उच्च न्यायालय ने कहा राजनैतिक संरक्षण से छद्म कालेज चल रहे हैं

भोपाल – वह मध्यप्रदेश जो कला संस्कृति की राजधानी कहलाता था उसे 18 सालों की शिवराज सरकार ने भ्रष्टाचार और अराजकता के मान-मर्दन का केंद्र बना दिया गया है। प्रदेश के करोड़ों युवाओं के भविष्य को बेचकर उनके जीवन में अंधकार भरने का पाप मप्र की भाजपा सरकार कर रही है। पहले मप्र के एक करोड़ से अधिक युवाओं के भविष्य को व्यापमं की लगभग 23 प्रकार की प्रवेश और भर्ती परीक्षा में घोटाला करके लूटा गया। प्रदेश के युवा इस लूट के दंश से उबर भी नहीं पाये थे कि फिर पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाला सामने आया। अब आज प्रदेश के लाखों युवाओं के भविष्य को भाजपा सत्ता की सरपरस्ती में हुये अवैधानिक नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के काले कारनामों की भेंट चढ़ा दिया गया है।
हाल ही में जबलपुर के सिविक सेंटर पर प्रदेश भर के हजारों युवाओं ने प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। छात्रों की व्यथा यह है कि बीते तीन सालों से प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में परीक्षा नहीं ली जा रही है और सवा लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय कर दिया गया है, जिससे वे और उनके परिजन गहरे अवसाद में हैं। शिवराज सरकार ने छात्रों की इस जायज मांग के उत्तर में उन पर लाठियों और वॉटरकेनन से वार किया। यह पहला अवसर नहीं है। हाल ही में बीते 01 अगस्त, 2023 को भी अपने भविष्य से चिंतित छात्रों ने भोपाल में नर्सिंग कॉलेज घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन किया था और शिवराज सरकार ने उनके साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया।
मप्र में नर्सेस रजिस्ट्रेशन कॉउंसिल द्वारा नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता प्रदान की जाती है। व्यापक रूप से यह बात सामने आ रही थी कि बड़े स्तर पर फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित कर प्रदेश के युवाओं के भविष्य को बर्बाद किया जा रहा है। भाजपाई सत्ता की सरपरस्ती के इस भ्रष्टाचारी व्यवहार के खिलाफ मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका 20438/21 सहित 35 अन्य याचिकाओं के माध्यम से न्यायालय के संज्ञान में यह लाया गया कि मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन कॉउंसिल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करके मप्र उपचारिका, प्रसेविका, सहायक उपचारिका प्रसेविका तथा स्वास्थ्य परिदर्शक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम-1972 को ताक पर रखकर कई नर्सिंग कॉलेज को अवैधानिक रूप से मान्यता दे दी गई।
माननीय उच्च न्यायालय ने 27 सितम्बर 2022 को अपने व्यापक आदेश में इस बात को रेखांकित किया कि प्रथम दृष्टया मप्र नर्सिंग कॉउंसिल ने गंभीर अनियमितता करते हुये अधिनियम-1972 की धारा 24 का उल्लंघन किया है तथा नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी है। माननीय न्यायालय ने 28 सितम्बर 2022 को इस घोटाले के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिये।
हाल ही में उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक 4847/2023 में 27 जुलाई 2023 को न्यायालय में सीबीआई द्वारा प्राथमिक रूप से 140 नर्सिंग कॉलेजों की जांच में पाय कि 08 शासकीय नर्सिंग कॉलेजों में से 04 कॉलेज नर्सिंग कॉउंसिल के कानून पर खरे नहीं उतरते। जांच किये गये 40 नर्सिंग कॉलेज जो 10 साल या उससे अधिक समय से चल रहे हैं, उनमें से 13 नर्सिंग कॉलेज मानकों पर खरे नहीं उतरे, 30 नर्सिंग कॉलेज जो पांच साल और उससे अधिक समय से कार्यरत हैं, उनमें से 13 कॉलेज मानकों पर खरे नहीं उतरते और जो पांच साल से कम समय से चल रहे हैं, ऐसे 35 नर्सिंग कॉलेज नर्सिंग कॉउंसिल के कानून पर खरे नहीं उतरे।
अभी सीबीआई को 169 कॉलेजों की और जांच करनी है। माननीय न्यायालय को बताया गया कि जांच में जो कॉलेज अमानक स्तर के पाये गये हैं, वो मेजर डिफिशिएंसी है। जांच में यह पाया गया कि मप्र नर्सिंग शिक्षक संस्थान मान्यता नियम का भी उल्लंघन हुआ हैं।
दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि न्यायालय को यह तक कहना पड़ा कि हैरत है कि नर्सिंग का एन न जानने वालों को भी परीक्षा की इजाजत दी गई। साथ ही यह भी कहा कि कई नर्सिंग कॉलेज ऐसे हैं, जिन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, इसी वजह से वे छद्म कॉलेज चला रहे हैं और समाज में जहर घोल रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि मप्र में मप्र में कुल 695 नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं, जिसमें से 25 शासकीय और 670 निजी कॉलेज हैं। मप्र सरकार को वर्ष 2019-20 में 516 कॉलेजों, वर्ष 2020-21 में 699 तथा वर्ष 2021-22 में 803 नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता के आवेदन प्राप्त हुये थे।
इतनी बड़ी संख्या में नर्सिंग कॉलेजों के आवेदन आने का अर्थ है कि कॉलेजों को ताक पर रखकर अवैधानिकता का गोरख धंधा चलाया जा रहा है।

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