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हिमाचल में कांग्रेस के काबिज होने के बाद मोदी सरकार ने लोन लेने की सीमा में 5500 करोड़ रुपए की कटौती की

2023-24 में सुक्खू सरकार 9000 करोड़ रुपए का ही कर्ज ले पाएगी

शिमला – केंद्र ने सत्ता परिवर्तन के 6 महीने के भीतर ही हिमाचल की कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया है। बीते साल जब राज्य में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, तब हिमाचल को 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी।
हिमाचल में भाजपा के सत्ता से बाहर होने और कांग्रेस के काबिज होने के बाद मोदी सरकार ने लोन लेने की सीमा में 5500 करोड़ रुपए की कटौती की है। यानी 2023-24 में सुक्खू सरकार 9000 करोड़ रुपए का ही कर्ज ले पाएगी। इससे 76 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा के कर्ज में डूब चुकी हिमाचल सरकार की आर्थिक सेहत बिगड़ना तय है। इसे लेकर कैग भी हिमाचल को पहले ही चेता चुका है।
राज्य की लोन लेने की सीमा की शर्त नहीं हटाई गई तो आने वाले कुछ महीनों बाद कर्मचारियों व पेंशनर को सैलरी और पेंशन का भुगतान तक करना चुनौती भरा हो जाएगा, क्योंकि राज्य के पास अपनी आय के सीमित साधन हैं। वहीं, केंद्र सरकार एक के बाद एक झटके दे रही है।
हिमाचल सरकार को 2020 तक जीएसपी का तीन फीसदी लोन लेने की छूट दी। कोरोना काल में मई 2020 में इसे बढ़ाकर 5 फीसदी किया गया। अब केंद्र ने इस छूट को खत्म कर दिया है। इस निर्णय को राज्य में ओल्ड पेंशन बहाल करने की सजा के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार बार-बार कह रही थी कि ओल्ड पेंशन को बहाल नहीं किया जाए। यह राज्य के हित में नहीं है।

मैचिंग ग्रांट भी बंद

एमपी के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए एनपीए के तौर पर जमा कराता था, लेकिन इस साल अप्रैल से हिमाचल में ओल्ड पेंशन बहाल कर दी गई है। केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। इससे लगभग 1700 करोड़ के लोन का नुकसान हिमाचल को हुआ है।

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