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पानी में पैसे कागजों पर जंगल

जहां 2.34 करोड़ रुपए खर्च कर 79 हजार पौधे लगाने का दावा, वहां तीन साल बाद भी लहरा रही सिर्फ घास

इंदौर – इंदौर वन विभाग ने कंपेल में 79 हेक्टेयर जमीन पर 2 करोड़ 34 लाख रुपए खर्च कर करीब 79 हजार पौधे लगाए। 2020-21 में पौधारोपण शुरू हुआ था। अधिकारियों को यहां पौधे गोद लेकर 10 वर्षों तक उनकी देखभाल करनी थी, लेकिन तीन साल बाद ही वहां सिर्फ घास नजर आ रही है। लोकायुक्त ने मामले की जांच शुरू कर दी है। तत्कालीन सीसीएफ एचएस मोहंता ने मौजूदा सीसीएफ एनके सनोडिया को कड़ा पत्र लिखा। गड़बड़ी की लोकायुक्त में शिकायत भी की गई। शिकायत में उल्लेख है कि निंदाई, गुढ़ाई, पानी देने के फर्जी बिल-वाउचर पास कर पैसा भी हड़प लिया गया। वहीं राज्य स्तरीय टीम भी जांच करने शुक्रवार को कंपेल जा रही है। दरअसल, सेना ने फील्ड फायरिंग के लिए इंदौर वन मंडल की चोरल रेंज में वन भूमि का अधिग्रहण किया था। वन विभाग को इसके बदले में कंपेल में 79 हेक्टेयर जमीन मिली थी।

इतने पौधे लगाना बताया

40,000 सागौन
24,000 आम, जामुन
5,000 नीम
5,000 खमेर

जंगल की भूमि के बदले में जो जमीन मिलती है उसके लिए नियम यह है कि वहां 100 फीसदी पौधारोपण होना चाहिए। पौधे नष्ट हो गए हों तो उनकी गिनती करके नए सिरे से पौधे लगाने होते हैं। वहीं पौधों के 8 से 10 फीट के हो जाने तक उनकी नियमित देखभाल करने का भी नियम है। जांच के लिए पीसीसीएफ ने उज्जैन के सीसीएफ, डीएफओ, बागली, देवास के एसडीओ की कमेटी बनाई है। यह कमेटी शुक्रवार को कंपेल का निरीक्षण करेगी। वहीं डीएफओ महेंद्र सोलंकी का कहना है कि पौधे नष्ट होते ही हैं। जितने पौधे नष्ट हुए हैं उनके बदले नए लगाए जा रहे हैं।
पूरे क्षेत्र को तार फेंसिंग से सुरक्षित करना होता है लेकिन यहां कई जगह फेंसिंग गायब है। पोल भी घटिया क्वालिटी के हैं जो कुछ दिन में ही या तो टूट गए या गिर गए। गड़बड़ी साबित होने पर एसडीओ कृष्णा निनामा, कंपेल के डिप्टी रेंजर, फॉरेस्टर, फॉरेस्ट गार्ड के खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। ​​​​​​​

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