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पोहरी अनुविभाग क्षेत्र की शासकीय उचित मुल्य की दुकान से पिछले सात महीने से ग्रामीणों को राशन नहीं दिया गया

शासकीय उचित मूल्य की दुकान से 13 लाख 39 हजार रुपये से अधिक की खाद्य सामग्री खुर्द-बुर्द की गई

शिवपुरी – मध्यप्रदेश के शिवपुरी में राशन की कालाबाजारी बढ़ती ही जा रही है। पोहरी अनुविभाग क्षेत्र की शासकीय उचित मुल्य की दुकान सढ़ ककरई से पिछले सात महीने से ग्रामीणों को राशन नहीं दिया गया था। ग्रामीणों ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत की जांच के बाद जब मामला खुला, तब जाकर अधिकारियों ने इस मामले में FIR दर्ज करवाई। सढ़ ककरई की इस शासकीय उचित मुल्य की दुकान से 13 लाख 39 हजार रुपये से अधिक की खाद्य सामग्री खुर्द-बुर्द की गई है।
पोहरी एसडीएम द्वारा शासकीय उचित मुल्य की दुकान पर स्थित खाद्य सामग्री को खुर्द-बुर्द करने के कारण महिला बहुउद्देशीय सहकारी संस्था रसैरा के प्रबंधक, शासकीय उचित मूल्य की दुकान सढ़ ककरई के विक्रेता सहायक विक्रेता के विरूद्ध आईपीसी की धारा-409 एवं 420 के तहत बैराड़ थाने में पुलिस प्राथमिकी दर्ज की और प्रकरण को विवेचना में लिया गया। एसडीएम पोहरी को स्थानीय नागरिकों द्वारा शासकीय उचित मुल्य की दुकान सढ़ ककरई से सात महीने से खाद्यान्न प्राप्त न होने की शिकायत की गई, जिसके तहत एसडीएम पोहरी द्वारा संबंधित उचित मूल्य की दुकान की जांच कराई गई।
जांच प्रतिवेदन में खाद्यान्न प्रदाय न करने पर एवं 13 लाख 39 हजार रुपये से अधिक की खाद्य सामग्री खुर्द बुर्द किए जाने पर महिला बहुउद्देशीय सहकारी संस्था रसैरा द्वारा संचालित की जाने वाली शासकीय उचित मूल्य की दुकान सढ़ ककरई के प्रबंधक सतीश धाकड़, विक्रेता पहलवान यादव, सहायक विक्रेता बंटी यादव व सहायक विक्रेता अवतार यादव के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर अपराध कायम कर विवेचना में लिया गया है।

राजनीतिक हस्तक्षेप से नहीं हो पा रही प्रभावी कार्रवाई

शिवपुरी में कोरोना काल के दौरान राशन की कई दुकानों पर वितरण में घपले किए गए हैं। पिछले कुछ दिनों में कई गांवों के लोगों ने शिवपुरी जिला मुख्यालय पर आकर जनसुनवाई में कलेक्टर व अन्य अधिकारियों को इस मामले में शिकायते की थी। लेकिन अधिकारी राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण कार्रवाई नहीं कर पा रहे थे। कई पंचायतों व गांवों में लाखों रुपए की पीडीएस गायब कर दी गई। जिन राशन विक्रेताओं व प्रबंधकों पर कार्रवाई होनी है, वह किसी न किसी राजनीतिक व्यक्ति के संरक्षण में काम कर रहे हैं। अधिकारी भी कार्रवाई की बजाए मामलों की लीपापोती में लगे हैं।

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