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‘सीएम साहब 50 लाख लो जिंदगी लौटा दो…’ बावड़ी में अपनों को गंवाने वालों की पीड़ा

संतोष सिंह : साभार : दैनिक भास्कर

इंदौर – इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर हादसे में 36 लोगों की मौत से हर कोई गम और गुस्से में है। खासकर महिलाओं में इस अवैध निर्माण को लेकर आक्रोश है। लोग चाहते हैं कि इन मौतों के गुनहगार इस निर्माण को तोड़ दिया जाए। सिंधी कॉलोनी निवासी भावुकता चौहान ने कहा कि सीएम शिवराज सिंह आए थे, बोले मुआवजा देंगे। मुझसे 50 लाख ले लो और हमारे लोगों की जिंदगी लौटा दो। मैंने कमलनाथ को बोला कि कुछ कर सकते हैं तो 13 दिन में इस मंदिर को हटवा दो। इस मंदिर की जब-जब घंटियां बजेंगी, हमें 36 लोगों की चींखें सुनाई देंगी। हालांकि, सोमवार सुबह अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई शुरू हो गई।
दैनिक भास्कर से बात करते हुए भावुकता चौहान बेहद भावुक दिखीं, वो गुस्से से लाल हो रही थीं। बोलीं- पहली बार देख रही हूं कि प्रशासन इतना निकम्मा भी हो सकता है। लोगों को पहले से पता था कि यहां बावड़ी का स्लैब कमजोर है। जानबूझकर ये हादसा कराया। अब 36 जिंदगियों की भरपाई कौन करेगा? हादसे के बाद पटेल नगर, सिंधी कॉलोनी, स्नेह नगर के स्थानीय लोगों से जो मदद बनी उन्होंने की। छह घंटे तक नगर निगम, एसडीआरएफ और पुलिस की टीम तमाशबीन बनी रही। महू से जब सेना के लोग पहुंचे, तब जाकर बावड़ी में फंसे लोगों को निकाला जा सका।
जो लोग मदद कर रहे थे, पुलिस उन्हें डंडे मारकर भगा रही थी
भावुकता इतने पर भी नहीं रुकीं। बोलीं कि मेरे पति कमल चौहान और दूसरे लोग बावड़ी में गिरे लोगों की मदद कर रहे थे। पुलिस उन पर डंडे बरसा रही थी। ऐसा ही गुस्सा सोमेश खत्री (11) के चाचा रवि खत्री का है। बोले कि सबसे बड़ी लापरवाही नगर निगम और कलेक्टर की है। उन्होंने रहवासी और मंदिर समिति की अनदेखी की, हमें वहां से मारकर बाहर निकाला। हमें रेस्क्यू तक नहीं करने दिया। निगम के पास कोई सामान तक नहीं था। निगम को लीड करने वाला कोई अफसर नहीं था। सब अपनी-अपनी चला रहे थे।
कलेक्टर साहब तो ये भी मानने को तैयार नहीं थे कि बावड़ी में 40-50 लोग गिरे हैं। वे तो बोल रहे थे कि 15-20 लोग ही फंसे हैं। स्थानीय लोगों को, जिसे वहां की परिस्थितियों का पता था, उन्हें मार कर भगा रहे थे। हम चाहते हैं कि इस मामले में सख्त कार्रवाई हो। बार-बार मंदिर प्रशासन और समिति को दोष दिया जा रहा है, मंदिर प्रशासन की गलती नहीं है। निगम प्रशासन, आला अधिकारियों और सांसद की गलती है। जब उन्हें सालभर से पता था कि बावड़ी से कब्जे हटाने हैं तो क्यों नहीं हटाए।
खत्री ने कहा- आप 7 बजे सुबह किसी व्यापारी का दो हजार का टैक्स बकाया है तो घर पर ताला लगा देते हो, जल का बकाया होने पर नल कनेक्शन काट देते हो, लेकिन इतनी बड़ी बावड़ी खोल नहीं सकते थे। चार-चार बार सिर्फ नोटिस देने का दिखावा करते रहे। प्रशासन का पूरा रवैया लापरवाही का रहा है। एनडीआरएफ की टीम शाम 6 बजे पहुंची। मिलिट्री रात में 11 बजे आई, यहां नगर निगम दादागिरी कर रहा था। न खुद काम कर रहा था न करने दे रहा था।
प्रशासन ने निर्णय लेने में देर कर दी, नहीं तो कम लोग मरते
हादसे में जान गंवाने वाले नंद किशोर मंगवानी के बड़े बेटे रवि मंगवानी भी 36 मौतों के लिए प्रशासन को ही जिम्मेदार मानते हैं। बोले कि प्रशासन ने निर्णय लेने में हद दर्जे की देरी कर दी। प्रशासन ने देरी नहीं की होती तो आखिरी लाश 24 घंटे बाद शुक्रवार दोपहर 12 बजे नहीं निकलती। यदि प्रशासन ने जल्दी रेस्क्यू शुरू किया होता तो शायद कई जानें बच सकती थीं। प्रशासन तो ये मानने को ही तैयार नहीं था कि बावड़ी में अंदर और लोग भी फंसे हैं। हम लोगों ने जब प्रशासन पर दबाव बनाया और गायब लोगों की सूची सौंपी, तब जाकर प्रशासन ने सेना को बुलाने का निर्णय लिया।
नगर निगम ने पार्क किया बंद, पुलिस का पहरा बैठाया
मंदिर हादसे वाले अमृत गोल्डन पार्क के तीनों गेट पुलिस-प्रशासन ने बंद कर दिए है। किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। हालांकि, पूरे शहर के लोग वहां ये देखने लगातार पहुंच रहे हैं, जहां 36 लोगों की जिंदगी चली गई। एक एसआई सहित चार सिपाहियों की पार्क में घटनास्थल की देख-रेख के लिए ड्यूटी लगाई है। बावड़ी को प्रशासन ने एक दिन पहले चारों ओर से टीनशेड से घेर दिया है, वहां किसी को फटकने भी नहीं दिया जा रहा है।
जान गंवाने वालों में मंदिर का चौकीदार भी
हादसे में मंदिर के चौकीदार जितेंद्र उर्फ जीतू सोलंकी (28) की भी मौत हो गई। वह अलीराजपुर जिले के जोबट के बालेड़ी गांव का रहने वाला था। मंदिर आने वाली बुजुर्ग महिलाओं की वह पूजा-पाठ में मदद कर देता था। मंदिर के पास ही टीनशेड डालकर वह मां संतू बाई, पत्नी गीता, दो साल के बेटे विजय और छोटे भाई राहुल के साथ रह रहा था। पत्नी गीता गर्भवती है। 28 मार्च को वह बेटे विजय के साथ गांव चली गई थी। उसे लाडली बहना योजना के कागज लेना था। छोटे भाई राहुल ने बताया कि दिन में हम दोनों भाई बाहर काम करने चले जाते थे। उस दिन जीतू मंदिर में भंडारे के चलते रुक गया था। वह हवन के बाद प्रसाद वितरण के लिए हादसे वाली जगह खड़ा था। बावड़ी का स्लैब धंसा तो वो भी गिर गया था, बाद में उसकी लाश ही निकली।

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