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कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से हाथ मिलाया, अंतिम समझौता होना बाकी

गोंगपा को एमपी में अधिकतम 5 सीटों पर चुनाव लड़ने के साथ ही छग से उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष को राज्यसभा की सीट मिलेगी

भोपाल – मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने इस बार जोरदार तैयारी कर ली है। मिशन 2023 के तहत कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) से हाथ मिला लिया है। इसका आधिकारिक ऐलान होना बाकी है। ये वही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी है, जिसके कारण कांग्रेस पिछले चुनाव में 30 सीटों पर जीत से दूर रह गई थी। इससे हाथ मिलाकर कांग्रेस 30 के नुकसान को 50 सीटों के फायदे में बदलना चाहती है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और गोंगपा के बीच समझौते के तहत गोंगपा को एमपी में अधिकतम 5 सीटों पर चुनाव लड़ने के साथ ही छत्तीसगढ़ से उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष को राज्यसभा की सीट मिलेगी।

पिछली बार कांग्रेस को मालवा-निमाड़ में आदिवासियों की राजनीति करने वाले जयस का साथ मिला था। इस बार कांग्रेस महाकौशल, बघेलखंड और बुंदेलखंड में प्रभाव रखने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को साधने में जुटी है। गोंगपा को साथ लाने की कमान खुद प्रियंका गांधी ने संभाली है। मध्यस्थता एक राज्यसभा सांसद कर रहे हैं।

दैनिक भास्कर ने कांग्रेस और गोंगपा के बीच पक रही इस सियासी खिचड़ी की विधानसभा 2018 के परिणाम के आधार पर पड़ताल की, तो पता चला कि एक समझौते से कांग्रेस प्रदेश की लगभग 50 सीटों को साध सकती है।
विधानसभा चुनाव 2023 का रण जीतने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कमान संभाल रखी है। पार्टी प्रदेश की ऐसी 66 सीटों पर इस बार विशेष जोर दे रही है, जहां पिछले तीन चुनाव से लगातार हार मिल रही है। पिछली बार कांग्रेस ने 229 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि एक सीट पर जयस प्रत्याशी को अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाया था। इस बार भी कमलनाथ की कोशिश है कि अधिक से अधिक सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी ही चुनाव लड़े। यही कारण है कि कमलनाथ गोंगपा को अधिकतम 3 सीट से अधिक देने को तैयार नहीं हैं। गोंगपा 10 सीटों की मांग कर रही थी।

चुनावी शंखनाद करने जबलपुर पहुंची प्रियंका के सामने इस चुनावी समझौते की रूपरेखा रखी गई। पार्टी में गोंगपा से समझौते की वकालत कर रहे राज्यसभा सांसद ने गोंगपा से जुड़े विंध्य के एक पदाधिकारी से उनकी मुलाकात भी कराई। इस पदाधिकारी के साथ इस राज्यसभा सांसद की दिल्ली में कई दौर की बात हो चुकी है। प्रियंका ने गोंगपा से समझौते के लिए कमलनाथ को ये कहते हुए मनाया कि जिस पार्टी का प्रदेश की 50 सीटों पर प्रभाव है, उसे 10 प्रतिशत सीट देने में कोई नासमझी नहीं है। हालांकि, प्रियंका ने गोंगपा से फाइनल समझौता करने के लिए कमलनाथ और एक राज्यसभा सांसद को जिम्मेदारी सौंपी है।

एक समझौते से एमपी और छत्तीसगढ़ दोनों राज्य सधेंगे

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव के सामने तथ्य रखे गए कि गोंगपा का प्रभाव महाकौशल के अलावा छत्तीसगढ़ में भी है। आदिवासियों में इस पार्टी का अच्छा प्रभाव है। गोंगपा से समझौता दोनों राज्यों में कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगा। प्रारंभिक बातचीत के आधार पर तय हुआ है कि गोंगपा को एमपी में 5 विधानसभा सीटें समझौते के तहत दी जाएंगी। कांग्रेस उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर मरकाम को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजेगी।
बदले में गोंगपा को दोनों राज्यों में कांग्रेस का साथ देना होगा। एमपी में गोंगपा कौन सी 5 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी, उसका निर्णय कमलनाथ करेंगे। गोंगपा की ओर से अमरवाड़ा, ब्यौहारी, लखनादौन, शहपुरा और बिछिया सीट की मांग की गई है, लेकिन कांग्रेस के सामने मुश्किल ये है कि ब्यौहारी को छोड़कर अन्य पर उसके विधायक हैं। कांग्रेस इसकी बजाए दूसरी सीटों को समझौते के तहत देने को तैयार है।

पिछले चुनाव में दमदार मौजूदगी बताई

2008 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 93 सीटों पर, 2013 में 63 सीटों पर और 2018 में 73 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, लेकिन कोई जीत नहीं पाया, लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी प्रत्याशी बिना संसाधन और मजबूत गठबंधन के प्रदेश की 50 सीटों पर अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने में सफल रहे थे। पिछली बार गोंगपा और समाजवादी पार्टी में सियासी समझौता हुआ था।

गोंगपा को जयस को भी साधने की जिम्मेदारी

कांग्रेस ने गोंगपा से समझौते के साथ उसे जयस को भी साधने की जिम्मेदौरी सौंपी है। दरअसल, मालवा-निमाड़ में जयस 25 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का दम भर रही है। कांग्रेस जयस को दो-चार सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं है। जयस का एक धड़ा कुछ दिन पहले ही तेलंगाना की रूलिंग पार्टी के सीएम केसीआर की मौजूदगी में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में शामिल हो चुका है।
बीआरएस एमपी चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं। जयस में इस टूट के चलते कांग्रेस जयस के साथ समझौते की मेज पर कड़ी शर्त रख रही है। हालांकि, प्रियंका गांधी ने गोंगपा से समझौते की बात करने वाले पदाधिकारी से साफ कह दिया है कि जयस के बिना ये गठबंधन अधूरा रहेगा। इसी पदाधिकारी को जयस से बातचीत करने और मनाने का जिम्मा सौंपा गया है। हालांकि, सीट समझौता करने का आखिरी निर्णय कमलनाथ ही करेंगे।

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