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पांचवीं के बच्चे नहीं पढ़ पा रहे हिंदी की किताब, स्कूल में ताला जड़ने पहुंचे ग्रामीण

शिक्षिकाएं और दो शिक्षक पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और हंगामा शांत कराया।

खंडवा – पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को ठीक से यदि हिंदी की किताब नहीं पढ़ते बन रही तो ऐसी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का क्या फायदा। शिक्षक विहीन स्कूल के संबंध में शिकायतें कर-करके थक चुके हैं। अधिकारी आते हैं आश्वासन के बाद थोड़े दिन के लिए शिक्षकों को यहां पढ़ाने के लिए भेजा जाता है। इसके बाद शिक्षक नया आदेश आने पर किसी अन्य स्कूल में भेज दिए जाते हैं। कोई स्थाई शिक्षक नहीं है ऐसे में बच्चे क्या पढ़ेंगे और क्या सीखेंगे। इसी बात को लेकर बुधवार सुबह 10.30 बजे हैदरपुर के ग्रामीणों ने स्कूल में हंगामा खड़ा कर दिया। सुबह 10.30 बजे शुरू हुआ हंगामा दोपहर करीब 12 बजे तक पुलिस के आने तक चला।
दअसर हैदरपुर स्कूल में स्थाई शिक्षकों की मांग को लेकर ग्रामीण स्कूल में ताला लगाने पहुंचे थे। यहां पढ़ा रहे दो शिक्षकों ने उन्हें कहा कि बीआरसी कार्यालय से अधिकारी आ रहे हैं वो आपकी समस्या का हल करेंगे, लेकिन ग्रामीण नहीं माने और अपनी बात पर अड़ रहे।
इसके बाद यहां बीआरसी कार्यालय से दो शिक्षिकाएं और दो शिक्षक पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और हंगामा शांत कराया। इस पर ग्रामीणों ने स्कूल में ताला तो नहीं जड़ा, लेकिन बच्चों को स्कूल भेजने से साफ इंकार कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे आश्वासन हम तीन साल में 50 बार ले चुके हैं। अब जब तक कलेक्टर और डीइओ मौके पर नहीं आएंगे तब तक हमारे बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।

जनसुनवाई से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक शिकायत

ग्रामीण भीमिंसह सूर्यवंशी ने बताया कि मेरे दो बच्चे हैं। आदर्श सूर्यवंशी पांचवीं और धनराज चौथी कक्षा में पढ़ रहा है। तीन साल से स्कूल में शिक्षक नहीं हैं। दोनों के हाथ में हिंदी की किताब देकर देख लो ठीक से पढ़ते नहीं बन रही है। यहां पर शिक्षक डेढ़ माह में बदल दिए जाते हैं। स्थाई रुप से शिक्षक नहीं हैं। पहली से पांचवीं तक का स्कूल लगता है।लगभग 50 बच्‍चे अध्ययनरत हैं। अटैचमेंट में दो शिक्षक पहुंचते हैंं। आगे से आदेश आता है तो दूसरी जगह चले जाते हैं।

कलेक्टर से लेकर डीइओ को श‍िकायत

ग्रामीण सुंदर मसानी, दीपक यादव, महेश मसानी, जयसिंह सूर्यवंशी, शैलेंद्र सिंह, गुलाब मसानी, प्रेम मसानी आदि ने बताया कि इस बात की शिकायत कलेक्टर से लेकर डीइओ को दो बार कर चुके हैं। बीआरसी छैगांव को पांच से सात बार सूचना दी। उसके बाद 10 बार बीआरसी आए थे। सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत के बाद जब वो आए ताे यहां स्थाई शिक्षकों का आश्वासन दिया तो हमने शिकायत कटवा दी, लेकिन आज तक इसका निराकरण नहीं हुआ। आज गांव वालों ने मिलकर फैसला किया कि जब तक कलेक्टर और डीइओ स्कूल में आकर जायजा नहीं लेंगे। तब तक बच्चे नहीं पहुंचाएंगे।

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