कमलनाथ का दावा-12 सीटें जीतेंगे, कौन सी और क्यों? Uncategorized by mpeditor - March 10, 2024March 10, 20240 6 सीटों पर विधानसभा चुनाव में बढ़त मिली, 6 पर बड़े चेहरों से उम्मीद भोपाल – मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने 5 मार्च को उज्जैन में कहा था कि राज्य में कांग्रेस 12 लोकसभा सीटें जीतेगी। उन्होंने ये भी दावा किया था- ‘मैं कई जगहों पर गया हूं। जो जानकारी मेरे पास आ रही है, इसी हिसाब से आ रही है। चुनाव से पहले सभी राजनीतिक पार्टियां अपने पक्ष में माहौल बनाती हैं, लेकिन भाजपा इसमें माहिर है।’कमलनाथ के इस बयान के बाद चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर वो कौन सी 12 सीटें हैं, जहां कांग्रेस जीत का दावा कर रही है और क्यों? दरअसल 6 सीटें वो हैं जहां कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में बढ़त मिली है या पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में प्रदर्शन ठीक रहा। 6 सीटों पर स्थानीय समीकरण और बड़े चेहरों से उम्मीद है। छिंदवाड़ा: ये कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की सभी सातों विधानसभा सीटों (जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौंसर, छिंदवाड़ा, परासिया, पांढुर्णा) पर कांग्रेस का कब्जा है। इस सीट से पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद है। 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल इसी सीट को कांग्रेस ने जीता था। कांग्रेस इस सीट को इस बार भी सेफ मान कर चल रही है। कांग्रेस के इस सीट को सेफ मानने की वजह ये भी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे 7 में से 4 सीटों पर ही लीड मिली थी। लेकिन, 2023 के विधानसभा चुनाव में उसने इसकी भरपाई की। मुरैना: इस लोकसभा सीट की आठ विधानसभा सीटों में से 3 सीटों (सबलगढ़, सुमावली, दिमनी) पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। बाकी 5 सीटों (श्योपुर, विजयपुर, जौरा, मुरैना, अंबाह) पर कांग्रेस का कब्जा है। इन सीटों पर मिली जीत को कांग्रेस पॉजिटिव मानकर चल रही है।कांग्रेस नेता मानते हैं कि यदि यहां प्रत्याशी चयन सही हो गया तो मुरैना में कांग्रेस का सांसद बन सकता है। पिछली बार यहां से बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर सांसद थे। सांसद पद से इस्तीफा देकर उन्होंने इसी संसदीय क्षेत्र की दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीते। वे मप्र विधानसभा के अध्यक्ष हैं। धार: इस लोकसभा सीट की आठ विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। जो पांच सीटें कांग्रेस के खाते में हैं, उनमें सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर और बदनावर शामिल हैं। बीजेपी के खाते में विधानसभा की 3 सीटें धरमपुरी, धार और डॉ. अंबेडकर नगर – महू हैं। रतलाम: आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। 1952 से लेकर 2019 तक हुए 14 चुनावों में से 12 चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया यहां से सांसद चुने गए। 2019 में भी बीजेपी के जीएस डामोर ने यहां से जीत दर्ज की। खरगोन: एसटी वर्ग के लिए रिजर्व इस लोकसभा सीट की 8 विधानसभा सीटों में से 3 सीटों (महेश्वर, खरगोन, पानसेमल) पर बीजेपी का कब्जा है। जबकि, 5 सीटों (कसरावद, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, बड़वानी) पर कांग्रेस का कब्जा है।खास बात ये है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 8 विधानसभा सीटों में से किसी भी सीट पर बढ़त नहीं मिली थी। इस लिहाज से 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है और कांग्रेस को इस सीट पर अपने पक्ष में माहौल नजर आ रहा है। इस सीट से भाजपा के गजेंद्र पटेल सांसद हैं, इस बार भी उन्हें ही टिकट मिला है।इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रतलाम लोकसभा की 8 में से 3 सीटों (जोबट, झाबुआ, थांदला) पर जीत दर्ज की है। 4 सीटें (अलीराजपुर, पेटलावद, रतलाम ग्रामीण, रतलाम शहर) बीजेपी के पास है और 1 सीट सैलाना पर भारत आदिवासी पार्टी का कब्जा है। मंडला: आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित मंडला लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें आती हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मात्र 3 सीटें (शहपुरा, मंडला, गोटेगांव) मिलीं, जबकि कांग्रेस 5 सीटें (डिंडोरी, बिछिया, निवास, केवलारी, लखनादौन) जीतने में कामयाब रहीं।मंडला से मोदी कैबिनेट में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते 6वीं बार के सांसद हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में वे निवास सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कुलस्ते की हार के बाद कांग्रेस इस सीट को अपने पक्ष में मानकर चल रही है।