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एमपी का मौसम : बारिश का इंतज़ार बढ़ा, गुजरात पहुंचे बादल

भोपाल- जिस सिस्टम से पूरे मध्यप्रदेश में झमाझम होने वाला था, वह काफी तेजी से मूव करके गुजरात पर छा गया। इसकी वजह हवा की दिशा और तापमान में बढ़ोतरी है। यही कारण रहा कि इंदौर सहित पूरे प्रदेश में एक साथ घटाएं छा कर बरस नहीं सकीं। आधा जुलाई बीतने को आया, लेकिन अभी भी बारिश टुकड़ों में हो रही है। एक और सिस्टम 18-19 जुलाई को डेवलप हो रहा है। इससे झमाझम की आस है।

माैसम विभाग ने 11 जुलाई से प्रदेश भर में अच्छी बारिश की संभावना जताई थी, लेकिन बारिश तो हवा में उड़ गई। मौसम एक्सपर्ट का कहना है कि तापमान में बढ़ोतरी के साथ हवाओं की गति और बदलती दिशा के कारण बारिश एक जैसी नहीं हाे पा रही। अभी कुछ दिन पूरे प्रदेश में बारिश तो होती रहेगी, लेकिन टुकड़ों में। वहीं, मौसम वैज्ञानिक एके शुक्ला का कहना है कि एक कम दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में दक्षिणी ओडिशा और उत्तरी आंध्रप्रदेश के तट पर बन गया है। इसके अलावा दो सिस्टम और बने हैं, जो मौसम को प्रभावित कर रहे हैं।

मानसून तो पूरे प्रदेश में एक्टिव, लेकिन इस कारण नहीं बरस रहे

मौसम एक्सपर्ट डीपी दुबे ने बताया कि पूरे प्रदेश को पानी तो मिलेगा, लेकिन अभी झमाझम बारिश की संभावना ज्यादा नहीं है। इसका कारण बंगाल की खाड़ी में जिस सिस्टम से प्रदेश को भिगोने की संभावना बनी थी। वह काफी तेजी से मूव हुआ और गुजरात की ओर बढ़ गया। दो दिन पहले मानसून झारखंड के ऊपर था। रविवार को वह छत्तीसगढ़ और मप्र को क्रॉस करते हुए गुजरात की ओर बढ़ गया। यह तेजी से बढ़ने के साथ कमजोर भी हो गया है। पूरा सिस्टम अभी गुजरात में है।

अभी अरब सागर से जो नमी आ रही है, उसी के कारण बारिश हो रही है। मानसून तो एक्टिव है, लोकल सिस्टम से ही अभी बारिश होती रहेगी। यही कारण है कि बारिश टुकड़ों में हो रही है। बारिश के नहीं होने का सबसे बड़ा कारण हवा की दिशा है। यह लगातार बदलती जा रही है। बंगाल की खाड़ी में एक और सिस्टम डेवलप हो रहा है, लेकिन यह भी मप्र के नीचे से मूव कर रहा है। यह ओडिशा से विदर्भ और फिर गुजरात की ओर बढ़ जाएगा। बारिश तो मिलती रहेगी, लेकिन अभी 4-5 दिन तेज बारिश की संभावना ज्यादा नहीं है। अभी नार्थ, ईस्ट एमपी की जगह साउथ एमपी में ज्यादा बारिश होगी। 18-19 जुलाई को एक और सिस्टम डेवलप हो रहा है। इससे तेज बारिश की उम्मीद है। यह सिस्टम बाद में महाराष्ट्र और फिर गुजरात की ओर बढ़ जाएगा।

मौसम एक्सपर्ट एचएल कपाड़िया ने बताया कि हवा की दिशा और उसकी गति के साथ ही अधिकतम तापमान में कमी नहीं आने के कारण प्रदेश में मानसून सक्रिय होने के बाद एक जैसा बरस नहीं पा रहा है। हवा की गति हर घंटे बदल रही है। अभी हवा दक्षिणी- पश्चिमी हो गई है। तेज हवा के कारण कम दबाव का क्षेत्र नहीं बन पा रहा है। आद्रता भी अभी ज्यादा है। इस कारण हवा में नमी भी नहीं आ पा रही है। मानसून अभी चार दिन सक्रिय है। विभाग ने इंदौर के लिए 13 जुलाई को 26, 14 को 55 और 15 को 104 जबकि 16 जुलाई को 51 मिलीमीटर बारिश की संभावना है। हालांकि यदि हवा की गति बदली तो इसमें फेरबदल हो सकता है। अभी हवा की गति 30 किमी से ज्यादा था।

यही वजह रही कि रविवार को धार, बड़नगर सहित कुछ इलाकों में तो तेज बारिश हुई, लेकिन इंदौर में कम दबाव का क्षेत्र नहीं बन पाया और बारिश उतनी तेज नहीं गिर पाई। पारा अभी भी 35 डिग्री के करीब बना हुआ है। इस बार ग्लोबल लेबल पर 0.5 डिग्री तापमान बढ़ गया है। यह भी इफेक्ट डाल रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि जहां पर हवा की गति कम रही और कम दबाव का क्षेत्र कम रहा, वहां अच्छी बारिश होगी। इस बार बारिश का पूरा पैटर्न ही बदल गया है।

जुलाई के बचे हुए दिन ठीक रह सकते हैं
इंदौर में जुलाई की शुरुआती भले ही सूखी-सूखी हुई है, लेकिन बचे हुए दिनों में ठीक-ठीक बारिश के आसार हैं। बंगाल की खाड़ी के साथ ही अरब सागर में भी हलचल जारी है। लगाातर सिस्टम सक्रिय होने से बारिश के दौर आते रहेंगे। अब तक 7.5 इंच बारिश हो जाना चाहिए थी, लेकिन आंकड़ा 3.3. इंच पर ही अटका हुआ है। पिछली जुलाई में भी कुल 191 मिमी (7.5 इंच) ही बारिश हुई थी। जुलाई में अधिकांश दिन सूखे ही बीते थे। महीने में केवल चार बार ही एक जैसी बारिश पूरे शहर में हुई थी। 31 जुलाई तक 10 इंच बारिश हो जाना चाहिए थी, लेकिन 7.5 पर ही आंकड़ा थम गया था। इसके बाद अगस्त में एक साथ 12 इंच पानी गिरा था।

ये तीन सिस्टम कर रहे मौसम प्रभावित…

एक कम दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में दक्षिणी ओडिशा और उत्तरी आंध्रप्रदेश के तट पर बना है।
उत्तरी विदर्भ और उससे सटे छत्तीसगढ़ से एक द्रोणिका गुजर रही है।
एक अन्य द्रोणिका राजस्थान से दक्षिण ओडिशा के बीच से गुजर रही है।


अगले 24 घंटे ऐसा रहेगा मौसम
जबलपुर, रीवा, शहडोल, ग्वालियर, चंबल, भोपाल, होशंगाबाद, उज्जैन और इंदौर संभाग के कुछ जिलों में गरज, चमक के साथ बूंदाबांदी हो सकती है। वहीं भोपाल, होशंगाबाद, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग के कुछ जिलों के साथ रीवा, बालाघाट, सतना, और मंडला में बिजली गिरने की संभावना है।

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