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शिप्रा नदी में आए दिन डूब रहे हैं श्रद्धालु, लेकिन डेढ़ साल से चल रहा है मंथन

श्रद्धालुओं के अलावा स्थानीय लोगों को नदी में डूबने से बचाने के कोई कारगर उपाय नहीं किए जा सके

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उज्जैन – शिप्रा नदी में आए दिन श्रद्धालु डूब रहे हैं और उनकी मौत भी हो रही है। श्रद्धालुओं को डूबने से बचाने के लिए रामघाट व आसपास के नदी क्षेत्र में अब तक ड्राइंग-डिजाइन डिसाइड नहीं हो पाई है। यानी इंजीनियर्स व अधिकारी अब तक मंथन ही कर रहे हैं कि क्या करें और क्या न करें। इन सबके बीच में डेढ़ साल बीत गया। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के अलावा स्थानीय लोगों को नदी में डूबने से बचाने के कोई कारगर उपाय नहीं किए जा सके हैं।
महाकाल लोक के शुरू होने के बाद से महाकाल मंदिर व शिप्रा नदी पर श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसमें 50 हजार से एक लाख तक श्रद्धालु उज्जैन पहुंच रहे हैं, जो कि शिप्रा नदी में डुबकी लगाने के लिए नृसिंह घाट व रामघाट पहुंचते हैं। नदी की गहराई का पता नहीं होने से श्रद्धालु नदी में डूब रहे हैं और उनकी मौत हो रही है।
वर्तमान में भी यहां लगातार श्रद्धालु हादसे का शिकार हो रहे हैं। बावजूद इसके स्मार्ट सिटी के इंजीनियर्स अब तक नया टेंडर तैयार नहीं कर पा रहे हैं। करीब डेढ़ साल पहले इसका टेंडर जारी किया था, जो कि करीब 13.30 करोड़ रुपए का था। टेंडर के तहत कार्य शुरू हो पाता, इसके पहले ही अधिकारियों का निर्णय बदल गया। उन्होंने पहले वाले टेंडर को निरस्त कर नए टेंडर का मन बनाया लेकिन यह टेंडर भी अब तक तैयार नहीं हो पाया है।

नया टेंडर 6 करोड़ 70 लाख ज्यादा का होगा

सामग्री की कीमत बढ़ने और पीडब्ल्यूडी के नए एसओआर के तहत नया टेंडर करीब 20 करोड़ तक का हो जाएगा। इससे अब 6 करोड़ 70 लाख रुपए का ज्यादा टेंडर हो जाएगा। इसकी बड़ी वजह यह सामने आई है कि नदी में सेफ्टी के लिए रेलिंग पत्थर की लगाए या लोहे या स्टील आदि की। इंजीनियर्स हरिद्वार के प्लान की बात तो कर रहे हैं कि उस पर भी कोई ठोस प्लान तैयार नहीं हो पाया है। इस वजह से नदी क्षेत्र में होने वाले कार्य पेंडिंग पड़े हैं।

होमगार्ड विभाग के 20 जवान भी सुरक्षा में कम पड़ रहे

शिप्रा नदी पर रेलिंग व जंजीर समेत पानी की गहराई को लेकर संकेतक व अन्य सुविधाएं नहीं है। इस कारण होमगार्ड विभाग के 20 जवान भी यहां सुरक्षा में कम पड़ रहे है। मंगलवार को भी आगर निवासी वृद्ध को समय रहते देख लिया तो जान बच गई नहीं तो वह भी हादसे के शिकार हाे जाते। 20 जवान तीन शिफ्ट में ड्यूटी कर रहे हैं। एक शिफ्ट में छह से सात जवान लगाए जा रहे है, लेकिन रामघाट से नृसिंह घाट तक नदी के लंबे घाट है व यहां श्रद्धालुओं के लिए स्नान की जगह चिह्नित नहीं है इससे श्रद्धालु कब गहरे पानी में जाकर डूबने लगता है पता ही नहीं चलता।

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