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श्रद्धा का श्रेय नहीं लिया जाता, वह तो आत्यामिक ध्येय: नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह

भोपाल। भगवान राजा महाकाल की सनातन सत्ता के प्रति हम अपनी श्रृद्धा व्यक्त करते हैं। श्रृद्धा श्रेय के लिए नहीं आध्यात्मिक ध्येय के लिए व्यक्त की जाती है। कमलनाथ सरकार को अपने कार्यकाल के दौरान भगवान की अलौकिक सत्ता ने यह सौभाग्य प्रदान किया था कि वे समूचे मप्र के धर्मावलंबी जनता की आस्था के प्रति आदर व्यक्त करते हुए मंदिरों का विकास और जीर्णोंद्वार में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर सकें।


कमलनाथ सरकार ने उज्जैन की अलौकिक भूमि पर महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर के विकास और विस्तार के लिए न सिर्फ एक समग्र योजना बनायी, अपितु उसको मूर्तरूप देना भी प्रारंभ कर दिया था, अगस्त 2019 को मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रालय में आहूत की गई बैठक में महाकाल मंदिर विकास की 300 करोड़ रू. की इस योजना का विस्तृत ब्यौरा महाकाल मंदिर के पुजारियों और मंत्रिमंडल के सदस्यों के सम्मुख रखा गया। जिसमें फ्रंटियर यार्ड, नंदी हाल का विस्तार, महाकाल थीम पार्क, महाकाल कॉरिडोर, वर्केज लॉन पार्किंग आदि का विकास और निर्माण प्रथम चरण में प्रस्तावित किया गया। द्वितीय चरण में महाराज बाड़ा, काम्पलेक्स, कुंभ संग्रहालय, भगवान महाकाल से जुड़ी विभिन्न कथाओं का प्रदर्शन, अन्नक्षेत्र, धर्मशाला, रुद्रसागर की लैंड स्केपिंग, रामघाट मार्ग का सौंदर्यीकरण, पर्यटन सूचना केन्द्र, रुद्र सागर झील का पुनर्जीवन, हरि फाटक पुल, यात्री सुविधाओं एवं अन्य सुविधाओं का निर्माण विस्तार भी प्रस्तावित किया गया।
इतना ही नहीं महाकाल मंदिर के विकास को तीव्र गति से किये जाने के संदर्भ में मंत्रियों की एक त्रिस्तरीय समिति भी गठित की, जिसमें उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, आध्यात्म विभाग के मंत्री पी.सी. शर्मा और नगरीय निकाय विभाग के मंत्री जयवर्धन सिंह को समिति का सदस्य बनाया गया।


25 फरवरी, 2019 को प्रथम चरण के टेंडर इनवाईट करने के लिए नोटिस (हृढ्ढञ्ज) जारी किया गया। महाकाल मंदिर के प्रथम चरण के विकास के लिए 7 मई 2019 को 97 करोड़ रू. का वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया गया। कमलनाथ सरकार ने इसी प्रकार मप्र स्थित औंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर निर्माण के लिए भी 150 करोड़ रू. का प्रावधान किया था।

मंदिर ही नहीं, पुजारियों के प्रति भी असीम आस्था के प्रतीक बनी कमलनाथ सरकार –
कमलनाथ सरकार ने शासन संधारित मंदिरों के पुजारियों का मानदेय तीन गुना तक बढ़ा दिया। मप्र सरकार ने प्रदेश के मंदिरों के हजारों पुजारियों को, जिनके पास कोई भूमि नहीं थी, ऐसे पुजारियों, जिनको एक हजार रूपये मिलता था, उसे बढ़ाकर तीन हजार रूपये प्रतिमहीने मानदेय कर दिया। पांच एकड़ भूमि वाले पुजारियों का मानदेय 700 से बढ़ाकर 2100 रू. प्रतिमाह किया गया और 10 एकड़ तक भूमि वाले पुजारियों का मानदेय 520 से बढ़ाकर 1560 रू. कर दिया गया।

समूचे मप्र के मंदिरों के जीर्णोद्धार का संकल्प:-
कमलनाथ सरकार समूचे मप्र के मंदिरों के विकास और विस्तार की व्यापक योजना पर काम कर रही थी और इस दिशा में वह मप्र विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक, 2019 लेकर आयी थी। कमलनाथ सरकार की भावना थी समूचे मप्र में आस्था के केंद्र मंदिरों का संरक्षण, उनका पुर्नविकास, विस्तार किया जाना बेहद आवश्यक है। जिसके तहत इस विधेयक को विधानसभा से पारित कराकर महामहिम राज्यपाल के पास भेजा गया, तत्पश्चात राज्यपाल महोदय द्वारा इसे राष्ट्रपति जी के पास भेजा गया। हम प्रदेश की भाजपा सरकार से पूछना चाहते हैं कि क्या इस विधेयक को भाजपा सरकार ने राष्ट्रपति जी के यहां से वापिस बुला लिया है। अगर यह वापिस बुला लिया गया है तो मप्र के करोड़ों श्रद्धालुओं के साथ राज्य सरकार ने यह कुठाराघात क्यों किया, इसका जबाव देना होगा।


कमलनाथ सरकार ने ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर, औंकारेश्वर, राम पथ वन गमन के साथ ही श्रीलंका में माता सीता के मंदिर सहित समूचे मप्र के मंदिरों के विकास और विस्तार के साथ मंदिरों के पुजारियों के मानदेय के लिए एक व्यापक अग्रणी भूमिका का निर्वाहन किया था। कल जब महाकाल मंदिर के विकास और विस्तार के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी उज्जैन आ रहे हैं, तब प्रदेश की जनता को इस बात का संज्ञान है कि विकास के इस क्रम को अमली जामा कमलनाथ सरकार ने पहनाया था। श्रद्धा का श्रेय नहीं लिया जाता, वह तो आत्यामिक ध्येय के लिए होती है। हम कल के इस आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं।

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