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पशुधन आयात निर्यात विधेयक 2023 लागू होने से पहले ही विवादों में फंसा

इस विधेयक के लागू हो जाने के बाद पशुओं को बड़ी मात्रा में निर्यात किया जा सकेगा

नई दिल्ली – भारत सरकार पशुधन आयात-निर्यात विधेयक 2023 लागू करने जा रही है। इस विधेयक के लागू हो जाने के बाद पशुओं को बड़ी मात्रा में निर्यात किया जा सकेगा। इस विधेयक का बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया है। यह बिल सनातन और हिंदू धर्म के विपरीत होने के कारण देशभर के साधु-संतों में नाराजी देखने को मिल रही है। केंद्र में जब भाजपा की मोदी सरकार है ऐसे समय पर इस बिल को लाए जाने से साधु संतों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनसंघ और भाजपा लगातार गोरक्षा का आंदोलन चलाती रही है धार्मिक परंपराओं में सभी मुक्त पशुओं को संरक्षण धर्म के अनुसार मिला हुआ है। मांस निर्यात का हमेशा से विरोध होता रहा है लेकिन जब वही सरकार केंद्र में हैं। तब वह पशुओं को निर्यात करने का बिल लेकर आ रही है।

  • भारत दूसरा सबसे बड़ा मांस निर्यातक

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मांस निर्यातक देश बन गया है 2020-2021 में भारत से 10.86 लाख टन मांस का निर्यात हुआ है। भारत से 23460 करोड़ रुपए का मांस भारत ने निर्यात किया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। 2020 में भारत ने 16 लाख टन मांस का निर्यात किया था। इसमें गोवंश का मांस भी शामिल है। ब्राजील के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा मांस निर्यातक देश है। मांस निर्यात से सरकार को बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। अब मूक पशुओं को निर्यात करके सरकार विदेशी मुद्रा कमाना चाहती है। इसका भारत में हर स्तर पर विरोध शुरू हो गया है।

  • संघ और पशुरक्षक भड़के

अभी तक भारत मांस का निर्यात करता है, लेकिन अब पशुओं का भी निर्यात करेगा। सभी साधु संतों का कहना है कि भारत की नीति अहिंसा पर आधारित है। भारत शाकाहारी देश है सनातनी धार्मिक परंपरा मैं सभी जीवों के संरक्षण का विधान है। इसके बाद भी भारत सरकार यदि पशुओं का वध के लिए निर्यात करती है तो इससे ज्यादा अधार्मिक कार्य कोई नहीं हो सकता है। भारत सरकार ने न तो मांस निर्यात कम किया ना ही उसे बंद करने की कोई कोशिश की है। अब पशुओं को निर्यात करने के लिए जो बिल लाया जा रहा है। उसका हिंदुओं के बीच में ही बड़ा विरोध शुरू हो गया है। विदेशी मुद्रा कमाने के लिए यदि पशुओं का निर्यात भारत सरकार करेगी तो हिंदू संगठन इसका विरोध करेंगे।

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