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मध्यप्रदेश में 500 करोड़ रुपए के पोषण आहार घोटाले में कांग्रेस ने लोकायुक्त में की शिकायत

मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ दर्ज की जाए एफआईआर: विवेक तन्खा

भोपाल – मध्यप्रदेश के इतिहास में एक बहुत ही दुखद प्रसंग था, कभी ऐसा वक्त नहीं आया कि चीफ सेक्रेटरी के बारे में हम लोगों को या किसी को भी इस प्रकार से लोकायुक्त के आफिस जाकर लिखित में शिकायत दर्ज करानी पड़ी हो। हमारे शिकायतकर्ता पारस सकलेचा ने आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में भी मध्य प्रदेश के आठ जिलों में करीब 500 करोड रुपए का पोषण आहार घोटाला होने की बात सामने आई थी। इस विषय में संदेह के घेरे में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल हैं। हमने लोकायुक्त से इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह बात कही।
श्री तन्खा ने कहा कि इकबाल सिंह मुख्यमंत्री के सचिव बने 2014 में और 2017 के बाद उन्होंने बेलवाल साहब को अपना सीईओ बनाकर एग्रो कारपोरेशन के अंतर्गत 7 फैक्ट्रियां काम करती थी उनको रूरल डेवलपमेंट के दूसरे डिपार्टमेंट के अंतर्गत ट्रांसफर कराया और यह व्यवस्था 2018 तक चलती रही, 2018 में बेलवाल साहब रिटायर हो गए और दिसंबर में सरकार बदल गई। कमलनाथ जी की सरकार बनी और उनको जब इस करप्शन की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने कार्यकाल में इन सातों फैक्ट्री को वापस एमपी एग्रो को ट्रांसफर किया, जहां से यह काम वर्षों से होता आ रहा था।
विवेक तंखा ने कहा कि मार्च 2020 में कमलनाथ जी की सरकार चली गई और शिवराज जी की सरकार आ गई है। एक दिन बाद इकबाल सिंह चीफ़ सेक्रेटरी बन जाते हैं। कुछ दिन बाद बेलवाल साहब कांट्रैक्ट पर वापस आ जाते हैं और कुछ दिन बाद वह सात फैक्टरीज भी रूरल डेवलपमेंट में वापस आ जाती है।
विवेक तन्खा ने कहा कि मध्य प्रदेश अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट आई, आज उस रिपोर्ट के सारांश हमने लोकायुक्त के सामने रखे हैं। उसमें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में 500 करोड़ का फ़ेक प्रोडक्शन, फ़ेक डिस्ट्रीब्यूशन और फेक परिवहन किया गया। स्कूटर और टेंपो और कार के नंबर से राशन का परिवहन किया गया। अकाउंटेंट जनरल ने सैंपल आधार पर यह जांच की थी और कहा था कि इस मामले की स्वतंत्र निकाय से जांच करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन राज्य सरकार ने इस संबंध में किसी प्रकार की जांच करवाने के लिए कोई पहल नहीं की।
श्री तन्खा ने कहा जिस आदमी के कार्यकाल में 500 करोड़ का घोटाला अकाउंटेंट जनरल ने उजागर किया है उस आदमी को मुख्य सचिव क्यों संरक्षण दे रहे हैं? उन्होंने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए इन दोनों अधिकारियों को उनके पद से तत्काल हटाया जाना अत्यंत आवश्यक है। लोकायुक्त में की गई शिकायत में प्रार्थना की गई कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, सीईओ श्री एल. एम. बेलवाल और अन्य संवैधानिक, शासकीय और निजी क्षेत्र के लाभार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए जो इस बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार में शामिल थे। माननीय उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि इस तरह के मामले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और सभी संबंधित दस्तावेज जब्त करके तत्काल जांच शुरू कराई जानी चाहिए।
श्री तन्खा ने कोर्ट जाने के सवाल पर कहा कि सब कुछ करेंगे, मगर अपने समय से करेंगे, यह मामला भारत के लोकतंत्र और मप्र के लोकायुक्त संगठन की स्वतंत्रता की परीक्षा का है, वे जो करेंगे न्यायोचित करेंगे। हमने लोकायुक्त में शिकायत की है और लोकायुक्त को इस मामले को देखना है।
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश के समस्त भ्रष्टाचार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सीधा संरक्षण प्राप्त है। मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा, राजधानी भोपाल के 1- श्यामला हिल्स से निकल रही है और वहीं से गंदगी है तो नीचे सफाई नहीं हो सकती। हमने विधानसभा में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर ध्यानाकर्षण लगाया, स्थगन पर चर्चा की, अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से बात करने की कोशिश की, लेकिन अध्यक्ष से सांठ-गांठ कर अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष से पहले मुख्यमंत्री ने अपना वक्तव्य पढ़कर हल्ला गुल्ला कर सत्र समाप्त करा दिया। भाजपा सरकार जब जब भ्रष्टाचार में फंसती है, हल्ला-गुल्ला कर विपक्ष की आवाज को द

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