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हकीकत में तो प्रदेश का नहीं, भाजपाइयों का विकास हुआ: विभा पटेल

भोपाल। मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष एवं भोपाल की पूर्व महापौर विभा पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में न तो विकास कार्य हुए और न ही कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी है। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पार्टीजनों से विकास कार्यों का प्रचार जोर-शोर से करने को कह रहे हैं, ये अत्यंत हास्यास्पद है। हकीकत में तो ये है कि प्रदेश का नहीं, भाजपाइयों का विकास हुआ है।


श्रीमती पटेल ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अपना कोई वादा पूरा नहीं किया, जिसकी बड़ी मिसाल मध्य प्रदेश के माथे पर लगा कुपोषण का कलंक है। कुपोषण रोकने के मामलों में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने बातें तो खूब की लेकिन हकीकत में किया कुछ नहीं, इसी तरह मध्य प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए शिवराज सरकार ने कोई ठोस उपाय नहीं किए। नतीजे में आम आदमी को उच्चस्तरीय इलाज सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल रहा है। ये उदाहरण शिवराज सिंह चौहान सरकार के झूठ बोलने वाले चरित्र के हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिर्फ झूठ बोलने, घोषणा व गुमराह करने की राजनीति करते हैं। प्रदेश की जनता को गुमराह करने में तो वे माहिर हैं।


विभा पटेल ने कहा कि प्रदेश की विभिन्न शहरों की सड़कों के गड्ढ़े सरकार के सिस्टम को मुंह चिढ़ा रहे हैं, उनकी कलई खोल रहे हैं, लेकिन सरकार इसे स्वीकार नहीं कर रही। अब तो जगह-जगह टोल नाके लगाकर जनता से वसूली की जा रही है, लेकिन बदहाल सड़कों की सुध नहीं ली जा रही। अकेले भोपाल जिले में तीन टोल नाके के जरिए वसूली चल रही है। रोजगार के अवसर नहीं होने से नौजवान परेशान है। सरकारी नौकरी देने का वादा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई बार किया, लेकिन हकीकत में नौजवान हताश और निराश है। कानून-व्यवस्था का तो ये हाल है कि मप्र में महिलाएं खुद को सुरक्षित नहीं समझती। वहीं, उज्ज्वला रसोई गैस कनेक्शन, लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटियों की शिक्षा, कन्या विवाह योजना सहित अनेक योजनाओं को लेकर ढोल तो काफी पीटे गए, लेकिन इसका लाभ सुपात्र परिवारों को नहीं मिला, जमीनी हकीकत इसके उलट है।


श्रीमती पटेल ने कहा कि घोषणावीर मुख्यमंत्री ने भू-आवासीय अधिकार योजना के तहत ग्रामीणों को आवासीय भूमि का अधिकार सौंपने का निर्णय लिया था, लेकिन व्यवहार में ये फैसला अमल में आते दिखाई नहीं दिया। इतना ही नहीं, मेधावी विद्यार्थी योजना का लाभ लेने के लिए मेधावी विद्यार्थी सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही।

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