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आउटसोर्स एवं संविदा कर्मचारियों का प्रदर्शन 18 को भोपाल में संविदा कर्मियों की हड़ताल को दिया समर्थन

भोपाल। मप्र कांग्रेस आउटसोर्स एवं संविदा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने संविदा कर्मचारियों की नौकरी को 62 साल तक सुरक्षित करने का आदेश, फरवरी 2019 में ही निकाल दिया था, अब सरकार को इन्हें नियमित करना चाहिए, जो शिवराज सरकार नहीं कर रही है, इससे व्यथित होकर संविदा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। वहीं प्रदेश के हजारों आउटसोर्स, संविदा कर्मचारी 18 दिसंबर को सरकार के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के सामने सडक पर खडे होकर अपने हक की बात रख हल्लाबोल आंदोलन करेंगे।

तत्कालीन कमलनाथ सरकार द्वारा आउटसोर्स, संविदा, अस्थाईकर्मियों के लिए निकले गये आदेशों की प्रति मीडिया को जारी करते हुए वासुदेन शर्मा ने कहा कि शिवराज सरकार इन्हीं आदेशों को लागू कर करे, ताकि प्रदेश के इन पीडि़त कर्मियों को राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार के समय 12 दिसंबर 2019 को मप्र शासन के श्रमायुक्त ने आउटसोर्स कंप्यूटर आपरेटर, डाटा इंट्री आपरेटरों के लिए आदेश जारी किया गया था, जिसमें उल्लेख था कि ऐसे आउटसोर्स कंप्यूटर आपरेटर जिन्हें सेवाएं देते हुए 3 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं उन्हें 23,870 रुपये और जिन्हें पांच साल पूरे हो चुके हैं उन्हें 28,870 रुपये मासिक वेतन आउटसोर्स एजेंसियों को देना होगा। उक्त आदेश अस्थाईकर्मियों की नौकरी में स्थायित्व देने की दिशा में भी निर्देश देता है।

कमलनाथ सरकार ने संविदा कर्मियों के लिए सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से दूसरा आदेश 8 फरवरी 2019 को जारी किया था, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए कि किसी भी संविदाकर्मी को 62 साल की नौकरी पूरी होने से पहले नहीं हटाया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग का यह आदेश संविदा कर्मियों के नियमितीकरण का रास्ता खोलने वाला आदेश है। मार्च 2020 में कमलनाथ सरकार चली जाने के बाद शिवराज सरकार ने सभी विभागों के आउटसोर्स, संविदा, अस्थाई कर्मियों के हित में निकाले गए आदेशों को दबा दिया और उन्हें लागू नहीं किया, जिस कारण इनके साथ अन्याय जारी है।वासुदेव शर्मा ने कहा कि शिवराज सरकार ने सभी विभागों की क्लास-3, क्लास-4 की नौकरियों में आउटसोर्स, संविदा, ठेका, अस्थाई प्रथा लागू कर मध्यमवर्ग, दलित, आदिवासी, ओबीसी समुदाय के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों के दरवाजे पूरी तरह बंद कर दिए हैं, क्योंकि उक्त नौकरियों में इनके परिवारों के बच्चे ही अधिक संख्या में जाते हैं। वहीं क्लास-3 एवं 4 की नौकरियों में आउटसोर्स प्रथा लागू कर शिवराज सरकार ने गरीब, मध्यमवर्ग परिवारों के आर्थिक विकास के रास्ते को रोका है, जो समाज में बढती असमानता का एक बड़ा कारण है।

शर्मा ने मांग की है कि 8 फरवरी 2019 को संविदा एवं 12 दिसंबर 2019 को आउटसोर्सकर्मियों के हित में कमलनाथ सरकार द्वारा निकाले गए आदेशों को भाजपा सरकार तत्काल लागू करे। साथ ही विधानसभा में दी गई न्यूनतम वेतन की जानकारी के अनुसार सभी आउटसोर्स कर्मियों को 21,000 न्यूनतम वेतन दिया जाये।

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